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This Article is From Oct 13, 2015

समान नागरिक संहिता जरूरी परंतु आमसहमति होनी चाहिए : केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा

समान नागरिक संहिता जरूरी परंतु आमसहमति होनी चाहिए : केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा
विधि मंत्री सदानंद गौड़ा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: विधि मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए समान नागरिक संहिता जरूरी है, लेकिन इसे लाने के लिए कोई भी निर्णय व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने एक दिन पहले ही केंद्र से पूछा था कि क्या वह एक समान नागरिक संहिता लाने को तैयार है।

गौड़ा ने कहा कि सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में अपना हलफनामा दायर किए जाने से पहले वह प्रधानमंत्री, अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और शीर्ष विधि अधिकारियों से सलाह मशविरा करेंगे।

आम सहमति बनाने के लिए मशविरा करेंगे
उन्होंने कहा कि आम सहमति बनाने के लिए विभिन्न पर्सनल लॉ बोर्डों और अन्य हितधारकों से ‘व्यापक मशविरा’ किया जाएगा और इस प्रक्रिया में ‘कुछ समय’ लग सकता है।

अनुच्छेद 44 कहता है कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए
उन्होंने कहा, ‘‘...हमारे संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 44 कहता है कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए। राष्ट्रीय एकता के हित के लिए, निश्चित तौर पर एक समान नागरिक संहिता जरूरी है। यद्यपि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। यहां तक कि समुदायों में, पार्टी लाइन से ऊपर, यहां तक कि विभिन्न संगठनों के बीच... एक व्यापक चर्चा जरूरी है।’

एक कदम आगे उठाने की जरूरत है
उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय ‘‘एक या दो दिन में नहीं किया जा सकता। इसमें समय लगेगा।’’ गौड़ा ने कहा, ‘‘यद्यपि संविधान की प्रस्तावना की अवधारणा और अनुच्छेद 44 और आज राष्ट्रीयहित में निश्चित तौर पर इस दिशा में एक कदम आगे उठाने की जरूरत है।’’

मंत्री ने कहा कि उन्होंने गत अप्रैल में लोकसभा में भी ऐसा ही बयान दिया था जब यह मुद्दा चर्चा के लिए आया था।

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