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This Article is From Mar 20, 2015

राजस्थान में बेमौसम बारिश से बरबाद हुए किसानों से मिली सोनिया गांधी

जयपुर:

राजस्थान में ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों को मिलने आज सोनिया गांधी कोटा पहुंचीं। वहां उन्होंने किसानों के लिए मुआवज़े की मांग की। राजनीतिक नजरिया से देखे जाने वाले इस दौरे से कांग्रेस यह संदेश साफ़ देना चाहती थी कि वह किसानों की हित का ख्याल रखने वाली पार्टी है। हाल ही में सोनिया गांधी ने दिल्ली में भी ज़मीन अधिग्रहण क़ानून का मुद्दा उठाया था।

बेमौसम बारिश और ओला वृष्टि की ज़मीनी हकीकत से वाकिफ होने कांग्रेस अध्यक्ष कोटा के मोरपा और डर्बीजी गांव पहुंची। कोटा उन 26 ज़िलों में से एक है, जहां पचास प्रतिशत से ज्यादा फसल ख़राब हो गई है।

ऐसे ही किसानों में झमकू मीणा भी शामिल हैं, जिनकी पूरी ढाई बीघा की फसल नष्ट हो गई। पकी हुई गेहूं में पानी भर गया है, 70 साल की इस विधवा के लिए जीवन व्यापन का और कोई साधन नहीं। झमकू उन किसानों में से एक थी, जिनसे सोनिया गांधी ने मुलाक़ात की।  झमकू ने बताया, 'मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई है, घर में अनाज नहीं है। अब तो ये जानवरों के चारे के लायक भी नहीं है।'

किसानों से मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'स्थिति बहुत ख़राब है। हम सरकार से मांग करेंगे कि इनको मुआवज़ा मिले।'

सोनिया गांधी का यह दौरा राजनीतिक संदेश के बिना नहीं था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के क्षेत्र से सटे कोटा में कांग्रेस अध्यक्ष का यह दौरा अपने आप में राजनीतिक महत्त्व रखता है। लेकिन इसको देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उनके इस दौरे से ठीक एक दिन पहले बूंदी और झालावाड़ के किसानों से मिल आईं। वहीं सोनिया गांधी के दौरे पर उनका कहना था कि जब आपदा आती है तो वह मुसीबत सबकी होती है, किसी पार्टी विशेष की नहीं..

हालांकि राज्य के 33 ज़िलों में से 26 में जो तबाही मची है, उसे देखते हुए राजनीतिक सियासत भी गरमा रही है। एक तरफ जहां बीजेपी संदेश देना चाहती है कि सरकार संकट में किसानों के साथ है, तो यह एक मौक़ा कांग्रेस के लिए भी है कि वह अपनी खिसकती हुई राजनीतिक जमीन को संभल ले।

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