नई दिल्ली:
यूपीए सरकार के कार्यकाल में देश में गरीबी का आंकड़ा 22 फीसदी घटने के दावे को सही साबित करने के लिए कांग्रेस के नेताओं की तरफ से बयानों का दौर शुरू हो गया है।
पहले कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि मुंबई में 12 रुपये में आज भी भोजन मिल जाता है। अब एक अन्य कांग्रेस नेता रशीद मसूद ने कहा है कि दिल्ली में तो पांच रुपये में भरपेट खाना खाया जा सकता है। मसूद ने कहा, मुंबई का तो मुझे पता नहीं, लेकिन दिल्ली में जामा मस्जिद के नजदीक पांच रुपये में खाना मिल जाता है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि ऐसे बयान से पता चलता है कि सरकार की गरीबी की परिभाषा महंगाई की असलियत से कितनी दूर है।
राज बब्बर ने एआईसीसी ब्रीफिंग में सवालों के जवाब में यह बात समझाने की कोशिश करते हुए कही कि कीमतों में इजाफे के बावजूद गरीबी घटी है। कांग्रेस प्रवक्ता से गरीबी निर्धारण करने के लिए व्यय सीमा के निम्न कटऑफ के बारे में भी पूछा गया था और यह भी पूछा गया था कि कैसे कोई गरीब 28 रुपये या 32 रुपये के प्रतिदिन खर्च पर दो वक्त पूरा भोजन ग्रहण करने में सक्षम हो सकते हैं।
बब्बर ने कहा, लोगों को दिन में दो वक्त पूरा भोजन मिलना चाहिए। वे कैसे हासिल कर सकते हैं, यह एक बहुत अच्छा सवाल है, जिसे आपने पूछा है। आज भी मुंबई शहर में मैं 12 रुपये में एक पूरा भोजन पा सकता हूं। नहीं, नहीं, बड़ा पाव नहीं। ढेर सारा चावल, दाल, सांभर और कुछ सब्जियां भी मिल जाती हैं। बब्बर ने इसके साथ ही कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि यह अच्छा है।
सब्जियों खासकर टमाटर की बढ़ती कीमतों के बारे में एक सवाल पर बब्बर ने कहा, अगर आप टमाटर से गरीबी का आकलन करेंगे तो यह मुश्किल होगा। शहरों में आप टमाटर नहीं खाएं, लेकिन गांवों में गरीब लोग टमाटर तोड़ते हैं और खाते हैं। मुझे बताएं कि क्या वह अमीर हैं या गरीब। बहरहाल, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह ‘‘गरीबी की परिभाषा नहीं दे रहे हैं।’’
(इनपुट भाषा से भी)
पहले कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि मुंबई में 12 रुपये में आज भी भोजन मिल जाता है। अब एक अन्य कांग्रेस नेता रशीद मसूद ने कहा है कि दिल्ली में तो पांच रुपये में भरपेट खाना खाया जा सकता है। मसूद ने कहा, मुंबई का तो मुझे पता नहीं, लेकिन दिल्ली में जामा मस्जिद के नजदीक पांच रुपये में खाना मिल जाता है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि ऐसे बयान से पता चलता है कि सरकार की गरीबी की परिभाषा महंगाई की असलियत से कितनी दूर है।
राज बब्बर ने एआईसीसी ब्रीफिंग में सवालों के जवाब में यह बात समझाने की कोशिश करते हुए कही कि कीमतों में इजाफे के बावजूद गरीबी घटी है। कांग्रेस प्रवक्ता से गरीबी निर्धारण करने के लिए व्यय सीमा के निम्न कटऑफ के बारे में भी पूछा गया था और यह भी पूछा गया था कि कैसे कोई गरीब 28 रुपये या 32 रुपये के प्रतिदिन खर्च पर दो वक्त पूरा भोजन ग्रहण करने में सक्षम हो सकते हैं।
बब्बर ने कहा, लोगों को दिन में दो वक्त पूरा भोजन मिलना चाहिए। वे कैसे हासिल कर सकते हैं, यह एक बहुत अच्छा सवाल है, जिसे आपने पूछा है। आज भी मुंबई शहर में मैं 12 रुपये में एक पूरा भोजन पा सकता हूं। नहीं, नहीं, बड़ा पाव नहीं। ढेर सारा चावल, दाल, सांभर और कुछ सब्जियां भी मिल जाती हैं। बब्बर ने इसके साथ ही कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि यह अच्छा है।
सब्जियों खासकर टमाटर की बढ़ती कीमतों के बारे में एक सवाल पर बब्बर ने कहा, अगर आप टमाटर से गरीबी का आकलन करेंगे तो यह मुश्किल होगा। शहरों में आप टमाटर नहीं खाएं, लेकिन गांवों में गरीब लोग टमाटर तोड़ते हैं और खाते हैं। मुझे बताएं कि क्या वह अमीर हैं या गरीब। बहरहाल, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह ‘‘गरीबी की परिभाषा नहीं दे रहे हैं।’’
(इनपुट भाषा से भी)
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