महाराष्ट्र के हालिया विधानसभा चुनाव में सीटों के हिसाब से चौथी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास अब राज्य में गैर बीजेपी सरकार के गठन की चाभी है. 30 साल पुरानी दोस्ती को दरकिनार करते हुए शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का मन बनाया. लेकिन महाराष्ट्र के सियासी समीकरण हर कदम पर हैरान कर रहे हैं. शिवसेना सोमवार को पूरे दिन इस बात का इंतजार करती रही कि उसे कांग्रेस की तरफ से हरी झंडी मिलेगी और वह सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. लेकिन दिल्ली में चल रही बैठक में कुछ और गुणा-गणित चल रही थी. शाम होते होते शिवसेना का इंतजार बेचैनी में तब्दील हो गया. लेकिन कांग्रेस की मीटिंग खत्म नहीं हुई. अब राज्यपाल का न्यौता एनसीपी के पास पहुंचा तो एनसीपी के नेताों ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस से चर्चा के बाद ही कोई फैसला लेंगे. ऐसे में सत्ता की चाभी एक बार फिर कांग्रेस के हाथ में है.
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भाजपा (105) के बाद 56 विधायकों के साथ 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच गतिरोध को देखते हुए कांग्रेस और राकांपा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है. एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. राकांपा ने कहा कि उसका कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन है इसलिए गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए वह सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी की आधिकारिक घोषणा के बाद ही कोई फैसला करेगी.
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एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि राज्य के लोगों की बदहाली को देखते हुए विकल्प के बारे में सोचें. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस से आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त रूप से घोषणा की जाएगी.
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