कांग्रेस पार्टी ने पुष्टि की है कि राहुल गांधी ने चीनी राजदूत से मुलाकात की थी...
नई दिल्ली:
सिक्किम में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच चीनी राजदूत से मुलाकात करने को लेकर आलोचना झेल रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष ने इस सिलसिले में ट्वीट कर अपनी बात रखी है. राहुल ने कहा, महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी लेना मेरा काम है. मैं चीनी राजदूत से मिला. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पूर्वोत्तर के कांग्रेसी नेताओं और भूटान के राजदूत से भी मुलाकात की.
अगर सरकार चीनी राजदूत के साथ मेरी मुलाकात को लेकर इतनी ही चिंतित है, तो उन्हें इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जब सीमा पर विवाद है तो क्यों 3 मंत्री चीन की यात्रा पर हैं.
और बता दूं कि मैं वह शख्स नहीं हूं जो झूले पर बैठा रहा जब हजार की संख्या में चीनी सैनिक भारत में घुस आए थे.
भारत तथा चीन के बीच सिक्किम में जारी गतिरोध के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के भारत में राजदूत से मुलाकात की थी, कांग्रेस पार्टी ने इस बात की सोमवार को पुष्टि की, और पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि "बैठक को सनसनीखेज़ मुद्दा बनाने की ज़रूरत नहीं है..."
हालांकि कांग्रेस इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाई कि सुबह 8:30 बजे तक चीनी दूतावास की वेबसाइट पर राहुल गांधी और चीनी राजदूत के बीच शनिवार, 8 जुलाई को हुई मुलाकात का ज़िक्र था, और जानकारी में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि दोनों ने मौजूदा भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की (स्क्रीनशॉट समाचार के अंत में देखें). चीनी दूतावास ने अब वह पोस्ट डिलीट कर दिया है.
इस बैठक की ख़बरें सामने आ रही थीं, जिनकी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी, और जिस समय विवाद बढ़ रहा था, राहुल गांधी के कार्यालय ने कई घंटे तक न उसकी पुष्टि की थी, न खंडन किया.
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्विटर पर ज़ोर देकर कहा कि भारत के चीन के साथ अब भी राजनयिक संबंध बरकरार हैं. पार्टी के सोशल मीडिया सेल की प्रमुख राम्या ने ट्विटर पर लिखा, "अगर कांग्रेस उपाध्यक्ष चीनी राजदूत से मिले भी हैं, तो मैं इसे मुद्दे के रूप में नहीं देखती..." इससे पहले सुरजेवाला ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि राहुल गांधी ने चीनी राजनयिक से मुलाकात की, और भूटानी राजदूत से भी - यह स्टैंडर्ड प्रोसीजर है... उन्होंने कहा, "जी-5 देश के राजदूत शिष्टाचार के नाते राहुल गांधी से भेंट किया करते हैं... हमें इन सामान्य शिष्टाचार भेंटों को ख़बर नहीं बना डालना चाहिए..."
पिछले सप्ताह राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन से जारी गतिरोध को लेकर सार्वजनिक रूप से कुछ भी नहीं कहने के लिए हमला बोला था.
सिक्किम की सीमा के निकट जिस इलाके को चीन अपना बताता है, वहां से भारत द्वारा सेना नहीं हटाने की सूरत में 'गंभीर परिणाम' भुगतने की चेतावनी को भारत ने नज़रअंदाज़ कर दिया है. चीन का दावा है कि भारतीय सैनिकों ने डोंगलांग इलाके में जून की शुरुआत में प्रवेश किया, और वहां सड़क बना रहे चीनी फौजियों को रोक दिया.
चीन का कहना है कि वह ज़मीन ब्रिटेन से वर्ष 1890 में हुए करार के तहत चीन की ही है.
लेकिन भारत तथा हिमालय की गोद में बसे भूटान का दावा है कि वह ज़मीन (डोकलाम) भूटान की है, जिसने उस करार पर दस्तखत नहीं किए थे, और जो राजनयिक तथा सैन्य समर्थन के लिए भारत पर निर्भर है.
पिछले सप्ताह, बेहद असामान्य रूप से रूखी टिप्पणी में चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है," और किसी भी वार्ता को शुरू करने के लिए भारत को अपने सैनिक वापस बुलाने ही होंगे. दिल्ली ने उस चेतावनी को भी नज़रअंदाज़ किया, और चीन के सरकारी मीडिया की उन चेतावनियों को भी, जिसमें भारत को 1962 जैसी 'शर्मनाक' हार की ओर बढ़ने से रुकने की सलाह ही गई. रक्षामंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 2017 का भारत 1962 से कतई अलग है.
इस दौरान पिछले सप्ताह जर्मनी में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात हुई, जबकि एक ही दिन पहले चीन ने कहा था कि द्विपक्षीय मुलाकात के लिए 'माहौल सही नहीं है...' हालांकि विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच 'कई तरह के मुद्दों पर' अनौपचारिक बातचीत हुई, और इस बात पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि सिक्किम विवाद पर वार्ता हुई या नहीं.
विवादित इलाका सुरक्षा के लिहाज़ से भारत के लिए अहम है, क्योंकि यह उस जगह स्थित है, जहां भारत, तिब्बत और भूटान मिलते हैं, और बनाई जा रही सड़क से चीन उस पट्टी तक पहुंच सकता है, जिसे 'चिकन्स नेक' कहा जाता है, और यही पट्टी सात पूर्वोत्तर राज्यों से शेष भारत को जोड़ती है.
It is my job to be informed on critical issues. I met the Chinese Ambassador, Ex-NSA, Congress leaders from NE & the Bhutanese Ambassador
— Office of RG (@OfficeOfRG) July 10, 2017
अगर सरकार चीनी राजदूत के साथ मेरी मुलाकात को लेकर इतनी ही चिंतित है, तो उन्हें इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जब सीमा पर विवाद है तो क्यों 3 मंत्री चीन की यात्रा पर हैं.
If Govt is so concerned abt me meeting an Amb,they shld explain why 3Ministers are availing Chinese hospitality while the border issue is on pic.twitter.com/4FCuu9SiAe
— Office of RG (@OfficeOfRG) July 10, 2017
और बता दूं कि मैं वह शख्स नहीं हूं जो झूले पर बैठा रहा जब हजार की संख्या में चीनी सैनिक भारत में घुस आए थे.
And for the record I am not the guy sitting on the swing while a thousand Chinese troops had physically entered India pic.twitter.com/THG4sULJJC
— Office of RG (@OfficeOfRG) July 10, 2017
भारत तथा चीन के बीच सिक्किम में जारी गतिरोध के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के भारत में राजदूत से मुलाकात की थी, कांग्रेस पार्टी ने इस बात की सोमवार को पुष्टि की, और पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि "बैठक को सनसनीखेज़ मुद्दा बनाने की ज़रूरत नहीं है..."
हालांकि कांग्रेस इस बात का कोई जवाब नहीं दे पाई कि सुबह 8:30 बजे तक चीनी दूतावास की वेबसाइट पर राहुल गांधी और चीनी राजदूत के बीच शनिवार, 8 जुलाई को हुई मुलाकात का ज़िक्र था, और जानकारी में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि दोनों ने मौजूदा भारत-चीन संबंधों पर चर्चा की (स्क्रीनशॉट समाचार के अंत में देखें). चीनी दूतावास ने अब वह पोस्ट डिलीट कर दिया है.
इस बैठक की ख़बरें सामने आ रही थीं, जिनकी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी, और जिस समय विवाद बढ़ रहा था, राहुल गांधी के कार्यालय ने कई घंटे तक न उसकी पुष्टि की थी, न खंडन किया.
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्विटर पर ज़ोर देकर कहा कि भारत के चीन के साथ अब भी राजनयिक संबंध बरकरार हैं. पार्टी के सोशल मीडिया सेल की प्रमुख राम्या ने ट्विटर पर लिखा, "अगर कांग्रेस उपाध्यक्ष चीनी राजदूत से मिले भी हैं, तो मैं इसे मुद्दे के रूप में नहीं देखती..." इससे पहले सुरजेवाला ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि राहुल गांधी ने चीनी राजनयिक से मुलाकात की, और भूटानी राजदूत से भी - यह स्टैंडर्ड प्रोसीजर है... उन्होंने कहा, "जी-5 देश के राजदूत शिष्टाचार के नाते राहुल गांधी से भेंट किया करते हैं... हमें इन सामान्य शिष्टाचार भेंटों को ख़बर नहीं बना डालना चाहिए..."
पिछले सप्ताह राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन से जारी गतिरोध को लेकर सार्वजनिक रूप से कुछ भी नहीं कहने के लिए हमला बोला था.
सिक्किम की सीमा के निकट जिस इलाके को चीन अपना बताता है, वहां से भारत द्वारा सेना नहीं हटाने की सूरत में 'गंभीर परिणाम' भुगतने की चेतावनी को भारत ने नज़रअंदाज़ कर दिया है. चीन का दावा है कि भारतीय सैनिकों ने डोंगलांग इलाके में जून की शुरुआत में प्रवेश किया, और वहां सड़क बना रहे चीनी फौजियों को रोक दिया.
चीन का कहना है कि वह ज़मीन ब्रिटेन से वर्ष 1890 में हुए करार के तहत चीन की ही है.
लेकिन भारत तथा हिमालय की गोद में बसे भूटान का दावा है कि वह ज़मीन (डोकलाम) भूटान की है, जिसने उस करार पर दस्तखत नहीं किए थे, और जो राजनयिक तथा सैन्य समर्थन के लिए भारत पर निर्भर है.
पिछले सप्ताह, बेहद असामान्य रूप से रूखी टिप्पणी में चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है," और किसी भी वार्ता को शुरू करने के लिए भारत को अपने सैनिक वापस बुलाने ही होंगे. दिल्ली ने उस चेतावनी को भी नज़रअंदाज़ किया, और चीन के सरकारी मीडिया की उन चेतावनियों को भी, जिसमें भारत को 1962 जैसी 'शर्मनाक' हार की ओर बढ़ने से रुकने की सलाह ही गई. रक्षामंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए कहा था कि 2017 का भारत 1962 से कतई अलग है.
इस दौरान पिछले सप्ताह जर्मनी में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात हुई, जबकि एक ही दिन पहले चीन ने कहा था कि द्विपक्षीय मुलाकात के लिए 'माहौल सही नहीं है...' हालांकि विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच 'कई तरह के मुद्दों पर' अनौपचारिक बातचीत हुई, और इस बात पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि सिक्किम विवाद पर वार्ता हुई या नहीं.
विवादित इलाका सुरक्षा के लिहाज़ से भारत के लिए अहम है, क्योंकि यह उस जगह स्थित है, जहां भारत, तिब्बत और भूटान मिलते हैं, और बनाई जा रही सड़क से चीन उस पट्टी तक पहुंच सकता है, जिसे 'चिकन्स नेक' कहा जाता है, और यही पट्टी सात पूर्वोत्तर राज्यों से शेष भारत को जोड़ती है.
चीनी दूतावास की वेबसाइट पर इस डिलीट की जा चुकी पोस्ट में राहुल गांधी की चीनी राजदूत से मुलाकात का ज़िक्र किया गया है...
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