नितिन गडकरी (फाइल फोटो)
मुंबई:
'अच्छे दिन' को 'गले की हड्डी' बताने वाले नितिन गडकरी के बयान को लेकर कांग्रेस ने गडकरी पर निशाना साधा है. महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा है कि बीजेपी लोगों को मूर्ख बना रही है. पार्टी ने चुनाव में अच्छे दिन का वादा किया था. अब वह उससे मुकर रही है. पार्टी के चुनावी कैंपेन में जो वादे किए थे उससे एक-एक कर मुकर रही है. बीजेपी को जनता की वेदना की फिक्र नहीं.
मंगलवार को मुंबई में बीजेपी नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अच्छे दिन के पार्टी के कैंपेन से पल्ला झाड़ दिया था. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में कहा है कि अच्छे दिन 'हमारे गले में फंसी हड्डी' है. ऐसा कहने वाले वह बीजेपी के पहले नेता हैं. इससे पहले पार्टी के एक और चुनावी वादे को अध्यक्ष अमित शाह ने जुमला कहा था, जिस में काला धन भारत में लाए जाने पर हर एक को 15 लाख रुपए मिलने की बात कही गई थी.
गडकरी को देश के हालात बताकर पूछा गया कि 'अच्छे दिन कब आएंगे'? जिस पर उनका दो टूक जवाब कुछ इस तरह से था. गडकरी बोले, अच्छे दिन कभी नहीं आते. यह बात मूलतः मनमोहन सिंह की छेड़ी हुई है. NRI लोगों के कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा था कि अच्छे दिन आने के लिए इंतजार करना होगा. उसके जवाब में मोदी जी ने कहा कि हमारी सरकार आएगी तो अच्छे दिन आएंगे. तबसे यह बात हमारे गले में लटक गई. यह मुझे मोदी जी की बताई कहानी है.
गडकरी ने आगे मीडिया को उनके बयान को गलत अंदाज में पेश न करने की हिदायत देते हुए यह भी कहा कि हमारा देश अतृप्त आत्माओं का महासागर है. यहां जिसके पास कुछ है, उसे और चाहिए. वह ही पूछता है कि अच्छे दिन कब आएंगे?
गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन का पूरा जोर इस कैचलाइन पर टिका दिया था कि 'अच्छे दिन आएंगे', जिसके बाद यह सवाल बीजेपी के नेताओं से लगातार पूछे जाने लगे कि अच्छे दिन कब आएंगे? नितिन गडकरी ने भी जो जवाब दिया, वह सुर्खियां बन गया है.
‘अच्छे दिन' का नारा भाजपा के 'गले में अटकी हड्डी' बन गया : सीताराम येचुरी
मंगलवार को मुंबई में बीजेपी नेता और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अच्छे दिन के पार्टी के कैंपेन से पल्ला झाड़ दिया था. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई में कहा है कि अच्छे दिन 'हमारे गले में फंसी हड्डी' है. ऐसा कहने वाले वह बीजेपी के पहले नेता हैं. इससे पहले पार्टी के एक और चुनावी वादे को अध्यक्ष अमित शाह ने जुमला कहा था, जिस में काला धन भारत में लाए जाने पर हर एक को 15 लाख रुपए मिलने की बात कही गई थी.
गडकरी को देश के हालात बताकर पूछा गया कि 'अच्छे दिन कब आएंगे'? जिस पर उनका दो टूक जवाब कुछ इस तरह से था. गडकरी बोले, अच्छे दिन कभी नहीं आते. यह बात मूलतः मनमोहन सिंह की छेड़ी हुई है. NRI लोगों के कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा था कि अच्छे दिन आने के लिए इंतजार करना होगा. उसके जवाब में मोदी जी ने कहा कि हमारी सरकार आएगी तो अच्छे दिन आएंगे. तबसे यह बात हमारे गले में लटक गई. यह मुझे मोदी जी की बताई कहानी है.
गडकरी ने आगे मीडिया को उनके बयान को गलत अंदाज में पेश न करने की हिदायत देते हुए यह भी कहा कि हमारा देश अतृप्त आत्माओं का महासागर है. यहां जिसके पास कुछ है, उसे और चाहिए. वह ही पूछता है कि अच्छे दिन कब आएंगे?
गत लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने चुनावी कैंपेन का पूरा जोर इस कैचलाइन पर टिका दिया था कि 'अच्छे दिन आएंगे', जिसके बाद यह सवाल बीजेपी के नेताओं से लगातार पूछे जाने लगे कि अच्छे दिन कब आएंगे? नितिन गडकरी ने भी जो जवाब दिया, वह सुर्खियां बन गया है.
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