महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश की बिजली उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनियों पर कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का 6,477.5 करोड़ रुपये का बकाया है. देश अभी कोयले की कमी के कारण बिजली संकट का सामना कर रहा है. उधर शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिर से कोयले की कमी का मुद्दा उठाया, हालांकि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि दिल्ली की बिजली आपूर्ति कंपनियों को आवश्यकता के अनुसार बिजली मिलती रहेगी.
सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र स्टेट पावर जनरेशन कंपनी पर कोल इंडिया का सबसे अधिक 2,608.07 करोड़ रुपये का बकाया है जबकि पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WPDCL) पर 1,066.40 करोड़ रुपये बाकी है.
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की बिजली उत्पादन कंपनियों पर बकाया बहुत ज्यादा है लेकिन सीआईएल ने इनकी आपूर्ति कभी नहीं रोकी और उन्हें पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति की है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को फिर से कोयले की कमी का मुद्दा उठाया, हालांकि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि दिल्ली की बिजली आपूर्ति कंपनियों को आवश्यकता के अनुसार बिजली मिलती रहेगी. दिल्ली सरकार ने विभिन्न बिजली घरों में कोयले की कमी का संदर्भ देते हुए बिजली आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी है.
एक कार्यक्रम से इतर अरविंद केजरीवाल ने पत्रकारों से कहा, ‘‘दिल्ली में बिजली आपूर्ति का प्रबंधन हम (दिल्ली सरकार) कर रहे हैं. कोयले की कमी के कारण यह समस्या पूरे देश के सामने है.''
ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने दिल्ली को बिजली आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों सहित अन्य ताप बिजली घरों में कोयले की उपलब्धता की समीक्षा की. बयान के अनुसार, ‘‘मंत्री ने दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों को निर्देश दिया है कि उन्हें मांग के अनुरूप बिजली मिलेगी.''
टाटा पावर दिल्ली वितरण निगम (TPDDL) ने एक बयान में कहा कि वह उन बिजली घरों में कोयले की उपलब्धता पर नजर रख रहा है जिनके साथ उसका लंबे समय तक का करार है. बयान के अनुसार, ‘‘बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और अतिरिक्त मांगों के मद्देनजर टीपीडीडीएल ने हाल में मई के पहले सप्ताह से 31 जुलाई तक 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली के लिए करार किया है.''
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