मध्यप्रदेश में आज भी पुलिस रोजनामचे में उर्दू-अरबी-फारसी शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है. पुलिस रोजनामचे में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द ‘दस्तयाब' भी है. जब पुलिस अधीक्षक ने सीएम शिवराज सिंह के सामने इस (दस्तयाब) शब्द का इस्तेमाल किया तो उन्होंने इसे मुगलकालीन बताया और साथ ही सरल शब्दों को चलन में लाने की सलाह दी. दरअसल बीते सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में थे. कॉन्फ्रेंस में एक पुलिस अधीक्षक ने गुमशुदा के संदर्भ में ‘दस्तयाब' शब्द का इस्तेमाल किया. तब मुख्यमंत्री ने इसे मुगलकालीन बताते हुए सरल शब्दों का उपयोग करने की सलाह दी थी.
पुलिस रोजनामचे से हटेंगे उर्दू-अरबी-फारसी शब्द
‘दस्तयाब' पर सीएम शिवराज की सलाह सामने आने के बाद अब राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि ऐसे शब्द पुलिस के रोजनामचे से हटेंगे. सरकार की घोषणा अमल में आने पर इस्तगासा- परिवाद पत्र, दस्तयाब- गुम वस्तु का मिलना, पतारसी- अपराध अनुसंधान और चालान से पहले की प्रक्रिया, माल मसरुगा- लूटा गया माल, माल मसरुटा- डकैती में लूटा माल, हवाले साना- पुलिस कार्रवाई से पहले रवानगी दर्ज करना, माल वाजयाफ्ता- माल जब्त होना जैसे कई शब्द थानों से हट जाएंगे.
During Collector-Commissioner's conference one police official used the word 'Dastayab' @ChouhanShivraj advised him to use simple words, describing the same as from Mughal period, now @drnarottammisra has decided to do away with words 4m FIR's @ndtv @ndtvindia @manishndtv pic.twitter.com/gCMnQPmBlY
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) December 3, 2021
ऐसे 350 शब्द पुलिस के रोजनामचे में शामिल
उर्दू-अरबी-फारसी के ऐसे 350 शब्द पुलिस की रोजमर्रा की कार्रवाई में अभी भी चल रहे हैं. सरकार कह रही है ऐसे शब्द बदले जाएंगे, गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा कि ऐसे शब्द जो रिफ्यूजी टाइप के होकर चलन में नहीं है, उन्हें उत्तर प्रदेश और राजस्थान के भांति यहां भी बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
कांग्रेस ने बताया सियासत
उर्दू-अरबी-फारसी के शब्दों पर शिवराज सरकार के इस रवैये को कांग्रेस ने सियासत बताया है. पार्टी प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि इनको इन शब्दों का मतलब समझने में 18 साल लगे. बीजेपी को हत्या, बलात्कार का मतलब समझना था तो हालात सुधरते. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि कैसे मध्यप्रदेश अपराध के मामले में नंबर वन बनता जा रहा है. ये सियासत है और कुछ नहीं.
बता दें कि दिल्ली, राजस्थान और यूपी में ऐसे कई शब्दों को बदला जा चुका है, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसे निर्देश पहली बार दिये गये हैं.
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