मुजफ्फरनगर:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को मुजफ्फरनगर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि वह दुख में सबसे साथ हैं। सरकार पीड़ितों को इंसाफ दिलाएगी और जो लोग हिंसा में शामिल थे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। अखिलेश ने मृतकों के आश्रितों को 10-10 लाख रुपये के साथ परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को मुजफ्फरनगर पहुंच रहे हैं।
पुलिस लाइन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित सहाय आयोग घटना की जांच कर रहा है। जांच में जो लोग हिंसा के लिए दोषी पाए जाएंगे, उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा, चाहे वह जितने ही ताकतवर क्यों न हों। उन्होंने कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई होगी। सीबीआई जांच की मांग पर उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।
प्रशासनिक अधिकारियों पर लग रहे लापरवाही के आरोपों पर उन्होंने कहा कि आयोग की जांच में सारा सच सामने आ जाएगा। खुफिया विभाग की नाकामी के साथ ही किन अधिकारियों ने ढिलाई बरती, यह पता चल जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने रविवार को हिंसा रोकने में असफल मुजफ्फरनगर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए। सरकार इसी सिलसिले में पहले छह थाना प्रभारियों को निलंबित कर चुकी है।
अखिलेश ने कहा कि हिंसा में लोगों का बहुत नुकसान हुआ है। सरकार सबकी मदद करेगी। जिन लोगों की जान गई, सरकार उनके परिजनों को 10-10 लाख रुपये देने के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी। जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए, उनके घर की मरम्मत कराएगी। राज्य सरकार प्रभावित लोगों की मदद लाभकारी योजनाओं के जरिए भी करेगी।
मुख्यमंत्री ने हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा मारे गए टीवी पत्रकार राजेश वर्मा के घर जाकर परिवार से मुलाकात की।
अखिलेश ने कहा, "पत्रकारों के साथ मैं राजेश वर्मा के घर गया। उनके परिवार को अब तक 15 लाख रुपये की मदद दी गई है। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। उनके परिवार के लिए और जो भी मदद जरूरी होगी, सरकार की तरफ से की जाएगी।
मुजफ्फरनगर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री सबसे पहले हेलीकॉप्टर से कवाल गांव पहुंचे जहां उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। कवाल वही गांव है जहां छेड़खानी की घटना में तीन युवकों की मौत हो गई थी और बाद में महापंचायत का आयोजन होने के बाद पूरे मुजफ्फरनगर जिले और आस-पास के इलाकों में हिंसा भड़क गई थी तथा हालात पर काबू पाने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा था।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैं तीनों युवकों के परिवारों से मिला, जिनकी मौत हो गई थी। तीनों के परिजन अपने जवान बेटे को खोकर बहुत दुखी हैं।" उन्होंने कहा, "मैंने तीनों के परिजनों को न्याय और मदद का भरोसा दिलाया। मेरी अपील है कि इलाके के बुजुर्ग और संभ्रात लोग आगे आकर दोनों वर्गो के लोगों को समझाएं ताकि शांति फिर से बहाल हो सके।"
कवाल के बाद अखिलेश मलिकपुरा, कांदला और शाहपुर इलाके के बसीगांव व कुडवा गांव गए, जहां उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की और वादा किया कि सरकार उनकी मदद और सुरक्षा करेगी।
उधर, पूरी घटना को लेकर प्रशासन की कार्रवाई से नाराज कवाल गांव के लोग मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन देना चाह रहे थे लेकिन अखिलेश केवल परिजनों से मिलकर चले गए। इससे गांव के लोगों में नाराजगी देखी गई।
अखिलेश के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले कैबिनेट मंत्री एवं सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी मुजफ्फरनगर गए हैं।
मुजफ्फरनगर हिंसा में अब तक 47 लोगों की जान चुकी है। हिंसा के बाद अब हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। रविवार को मुजफ्फरनगर के तीन थाना क्षेत्रों में जारी कर्फ्यू में रविवार को दिनभर की ढील दी गई। कहीं से हिंसा की खबर नहीं आई। मुजफ्फरनगर और आस-पास के जिलों में सुरक्षा बलों के साथ सेना के जवानों की भारी संख्या में तैनाती रही।
अखिलेश के दौरे के बाद अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को मुजफ्फरनगर का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री हिंसाग्रस्त इलाकों में जाकर प्रभावित लोगों से दुख दर्द सुनने के साथ राहत कार्यों का जायजा लेंगे। अटकलें हैं कि उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं।
पुलिस लाइन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित सहाय आयोग घटना की जांच कर रहा है। जांच में जो लोग हिंसा के लिए दोषी पाए जाएंगे, उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा, चाहे वह जितने ही ताकतवर क्यों न हों। उन्होंने कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई होगी। सीबीआई जांच की मांग पर उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।
प्रशासनिक अधिकारियों पर लग रहे लापरवाही के आरोपों पर उन्होंने कहा कि आयोग की जांच में सारा सच सामने आ जाएगा। खुफिया विभाग की नाकामी के साथ ही किन अधिकारियों ने ढिलाई बरती, यह पता चल जाएगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने रविवार को हिंसा रोकने में असफल मुजफ्फरनगर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र दुबे को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए। सरकार इसी सिलसिले में पहले छह थाना प्रभारियों को निलंबित कर चुकी है।
अखिलेश ने कहा कि हिंसा में लोगों का बहुत नुकसान हुआ है। सरकार सबकी मदद करेगी। जिन लोगों की जान गई, सरकार उनके परिजनों को 10-10 लाख रुपये देने के साथ एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी। जिन लोगों के घर क्षतिग्रस्त हुए, उनके घर की मरम्मत कराएगी। राज्य सरकार प्रभावित लोगों की मदद लाभकारी योजनाओं के जरिए भी करेगी।
मुख्यमंत्री ने हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा मारे गए टीवी पत्रकार राजेश वर्मा के घर जाकर परिवार से मुलाकात की।
अखिलेश ने कहा, "पत्रकारों के साथ मैं राजेश वर्मा के घर गया। उनके परिवार को अब तक 15 लाख रुपये की मदद दी गई है। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। उनके परिवार के लिए और जो भी मदद जरूरी होगी, सरकार की तरफ से की जाएगी।
मुजफ्फरनगर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री सबसे पहले हेलीकॉप्टर से कवाल गांव पहुंचे जहां उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। कवाल वही गांव है जहां छेड़खानी की घटना में तीन युवकों की मौत हो गई थी और बाद में महापंचायत का आयोजन होने के बाद पूरे मुजफ्फरनगर जिले और आस-पास के इलाकों में हिंसा भड़क गई थी तथा हालात पर काबू पाने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा था।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैं तीनों युवकों के परिवारों से मिला, जिनकी मौत हो गई थी। तीनों के परिजन अपने जवान बेटे को खोकर बहुत दुखी हैं।" उन्होंने कहा, "मैंने तीनों के परिजनों को न्याय और मदद का भरोसा दिलाया। मेरी अपील है कि इलाके के बुजुर्ग और संभ्रात लोग आगे आकर दोनों वर्गो के लोगों को समझाएं ताकि शांति फिर से बहाल हो सके।"
कवाल के बाद अखिलेश मलिकपुरा, कांदला और शाहपुर इलाके के बसीगांव व कुडवा गांव गए, जहां उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मुलाकात की और वादा किया कि सरकार उनकी मदद और सुरक्षा करेगी।
उधर, पूरी घटना को लेकर प्रशासन की कार्रवाई से नाराज कवाल गांव के लोग मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन देना चाह रहे थे लेकिन अखिलेश केवल परिजनों से मिलकर चले गए। इससे गांव के लोगों में नाराजगी देखी गई।
अखिलेश के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले कैबिनेट मंत्री एवं सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी मुजफ्फरनगर गए हैं।
मुजफ्फरनगर हिंसा में अब तक 47 लोगों की जान चुकी है। हिंसा के बाद अब हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। रविवार को मुजफ्फरनगर के तीन थाना क्षेत्रों में जारी कर्फ्यू में रविवार को दिनभर की ढील दी गई। कहीं से हिंसा की खबर नहीं आई। मुजफ्फरनगर और आस-पास के जिलों में सुरक्षा बलों के साथ सेना के जवानों की भारी संख्या में तैनाती रही।
अखिलेश के दौरे के बाद अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को मुजफ्फरनगर का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री हिंसाग्रस्त इलाकों में जाकर प्रभावित लोगों से दुख दर्द सुनने के साथ राहत कार्यों का जायजा लेंगे। अटकलें हैं कि उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं।
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