सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष न्यायालय में ‘फिक्सिंग' के दावों और सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को बुधवार को ‘अत्यधिक संवेदनशील' करार दिया और कहा कि यह अदालत की जिम्मेदारी है कि संस्था (अदालत) को पाक-साफ रखा जाए, ताकि इसकी छवि धूमिल ना हो. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की पीठ में ‘फिक्सिंग' के बारे में अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस द्वारा दाखिल हलफनामे में लगाए गए आरोप और कुछ नामों का खुलासा बहुत ही गंभीर पहलू वाला है. पीठ ने कहा, ‘यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि संस्था (अदालत) को पाक - साफ रखा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के आरोपों से इस संस्था की छवि धूमिल ना हो...' पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल हैं.
पीठ ने कहा, ‘हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जायेंगे. यदि वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा. इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है. हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जायेंगे.'
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साथ ही पीठ ने कहा, 'एक गंभीर मामला उठाया गया है. तीन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है. बैंस के हलफनामे के मुताबिक ये कर्मचारियों एकजुट होकर साजिश रच रहे हैं. बैंस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में फिक्सिंग चल रही है. यह बहुत चिंता की बात है'
उत्सव बैंस ने अपने हलफनामे में बताया कि अजय नाम के एक युवक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कर्मचारी का केस लड़ने और सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए उन्हें 1.5 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था.
जजों ने कहा, 'हमें सच्चाई का पता लगाना होगा. क्या सुप्रीम कोर्ट में किसी भी तरह की फिक्सिंग चल रही है? अगर हमने हमारी आंखें बंद कर ली तो देश का भरोसा उठ जाएगा. अगर यह हलफनामा फर्जी निकलता है तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.'
बता दें, बुधवार को बैंस के दावों को लेकर चैम्बर में सीबीआई, आईबी निदेशकों और दिल्ली पुलिस आयुक्त से मिले तीनों न्यायाधीशों ने उन्हें संबद्ध सामग्री जब्त करने का निर्देश दिया, जिसे अधिवक्ता ने अपने हलफनामे के समर्थन में दाखिल किया है. न्यायालय ने कहा कि बैंस को दी गई पुलिस सुरक्षा अगले आदेश तक बनी रहेगी. पीठ ने बैंस द्वारा सीलबंद लिफाफे में आज दाखिल किए गए हलफनामे पर गौर किया. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसे सीलबंद लिफाफे में पूरी गोपनीयता के साथ रखा जाए क्योंकि इसमें सीजेआई को यौन उत्पीड़न के एक मामले में फंसाने की कथित साजिश के बारे में अत्यधिक संवेदनशील सूचना है.
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न्यायालय ने कहा कि बैंस ने अपने हलफनामे में इस बात का जिक्र किया है कि असंतुष्ट कर्मचारियों ने अपनी सेवा से बर्खास्त किए जाने के बाद सीजेआई को यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाने के लिए आपस में सांठगांठ की. पीठ ने इस बात का जिक्र किया, ‘‘उन्होंने खासतौर पर तपन कुमार चक्रवर्ती और मानव शर्मा तथा अन्य के नाम लिए हैं.'' स्वीडिश टेलीकॉम ग्रुप एरिक्सन द्वारा रिलायंस कम्युनीकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दर्ज अवमानना मामले में उनकी (अंबानी की) व्यक्तिगत पेशी के लिए जारी सात जनवरी के शीर्ष न्यायालय के आदेश में कथित छेड़छाड़ को लेकर सीजेआई ने न्यायालय के दो अधिकारियों - चक्रवर्ती और शर्मा को बर्खास्त कर दिया था.
पीठ ने बुधवार को जारी किए गए अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि बैंस ने अपने हलफनामे में कुछ नाम दिए हैं और आरोप लगाया है कि इन लोगों ने कहा है कि वे लोग न्यायाधीशों की पीठ को ‘‘फिक्स ''कर सकते थे. बैंस ने यह दलील भी दी कि वह एक और हलफनामा कल सुबह तक दाखिल करेंगे, जिसमें सारी संबद्ध जानकारी होगी.
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