केन्द्रीय सूचना आयोग (CIC) ने फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के संबंध में आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी देने से इनकार कर ‘लापरवाहपूर्ण' रवैया अपनाने के लिए एक अधिकारी की खिंचाई की है और श्रम मंत्रालय को अपनी वेबसाइट पर इस संबंध में अधिक से अधिक डाटा अपलोड करने के लिए कहा है. सूचना आयुक्त वनजा एन सरना ने मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) के कार्यालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को फटकार लगाई जिन्होंने आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक से कहा था कि फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों का कोई आंकड़ा नहीं है.
सीपीआईओ ने सीएलसी के आठ अप्रैल के एक परिपत्र का हवाला दिये जाने के बावजूद यह जवाब दिया. सीएलसी ने अपने क्षेत्रीय कार्यालय को कोरोना वायरस से निपटने के लिए 25 मार्च को लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद फंसे हुए प्रत्येक श्रमिकों की तीन दिन के भीतर गिनती करने को कहा था. सीएलसी परिपत्र के लगभग एक पखवाड़े बाद, नायक ने एक आरटीआई आवेदन दायर किया था, जिसमें उन जिलों के राज्यवार नाम जानने की मांग की गई थी, जहां से फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के बारे में आंकड़े प्राप्त हुए थे. लेकिन उन्हें बताया गया कि अधिकारी के पास कोई आंकड़ा नहीं है.
इसके बाद नायक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आयोग के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई. सरना ने कहा कि आरटीआई आवदेन में एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है. उन्होंने कहा कि आयोग इस तथ्य से आश्वस्त नहीं है कि जब मुख्य श्रम आयुक्त द्वारा प्रवासी मजदूरों पर डाटा एकत्र करने के लिए एक पत्र जारी किया जाता है, तो यह कैसे संभव है कि कोई भी कार्रवाई नहीं की गई.
उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘इसमें संशय नहीं है सीपीआईओ ने आरटीआई आवेदन को बहुत ही हल्के और लापरवाह तरीके से लिया है. शिकायतकर्ता ने अपने आरटीआई आवदेन के जरिये फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है.' सरना ने कहा कि अधिकारी आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों से पूरी तरह अनजान दिखाई देते हैं.
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