एनएसजी सदस्यता पर टकराव के बीच चीन के विदेश मंत्री ने पीएम मोदी से मुलाकात की

एनएसजी सदस्यता पर टकराव के बीच चीन के विदेश मंत्री ने पीएम मोदी से मुलाकात की

खास बातें

  • चीनी विदेशमंत्री वांग यी ने पीएम मोदी से मुलाकात की
  • वांग यी ने सुषमा स्वराज से मिलकर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की
  • दोनों देशों के बीच एनएसजी की सदस्यता को लेकर मतभेद हैं
नई दिल्ली:

तीन दिन के भारत दौरे पर आए चीनी विदेशमंत्री वांग यी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर उनसे मुलाकात की. साथ ही विदेशमंत्री सुषमा स्वराज भी वांग यी और चीन से आए प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाकात कर तमाम क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की.
 


वांग यी ने शुक्रवार को गोवा से अपना यात्रा शुरू की जहां अक्टूबर में होने वाले आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी हिस्सा लेंगे. ब्रिक्स के आयोजन स्थल का जायज़ा लेने के अलावा वांग यी ने गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा और मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर से भी मुलाकात की.

'दिल छोटा न करें'
गौरतलब है कि शुक्रवार की शाम वांग यी के आगमन पर चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने भारत और चीन को प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि साझेदार करार देते हुए कहा कि ‘दोनों ही देशों को अपनी असहमतियों को नियंत्रण में रखने के लिए मिल कर काम करना चाहिए.’चीनी एजेंसी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया था कि भारत को एनएसजी में प्रवेश नहीं मिलने का ठीकरा चीन पर न फोड़ा जाए.
 
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग (फाइल फोटो)

काफी वक्त तक अप्रत्यक्ष रूप से 'एक देश' की तरफ इशारा करने के बाद भारत ने आखिरकार सीधे तरीके से चीन को एनएसजी की सदस्या में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार ठहाराया. विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि सरकार चीन का समर्थन हासिल करने के लिए लगातार बीजिंग से संवाद करता रहेगा. उधर शिन्हुआ ने शुक्रवार को यह कहा कि नई दिल्ली को दिल छोटा नहीं करना चाहिए क्योंकि एनएसजी के दरवाज़ें कस कर बंद नहीं हुए हैं.

हालांकि साथ ही चीन की इस अनवरत मांग की तरफ भी इशारा किया कि वैश्विक परमाणु वाणिज्य का नियंत्रण करने वाले 48 सदस्यीय निकाय में एनपीटी पर दस्तखत अनिवार्य है और अभी तक एनपीटी पर दस्तखत नहीं करने वाले के एनएसजी सदस्य बनने की कोई मिसाल नहीं है.

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