नागरिकता कानून पर प्रदर्शन को लेकर चीनी महावाणिज्य दूत बोले- यह भारत का आंतरिक मामला

देशभर में बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कुछ नरमी आई है.

नागरिकता कानून पर प्रदर्शन को लेकर चीनी महावाणिज्य दूत बोले- यह भारत का आंतरिक मामला

चीन के महावाणिज्य दूत ने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध हैं.

खास बातें

  • 11 दिसंबर को संसद से पास हुआ था नागरिकता संशोधन बिल
  • मंगलवार को हुए प्रदर्शन में 21 लोग हुए थे घायल
  • बसपा कार्यकर्ताओं ने कानून को बताया विभाजनकारी
कोलकाता:

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ भारत में हो रहे प्रदर्शनों पर यहां चीनी महावाणिज्य दूत जेड लियोउ ने बुधवार को कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है. कोलकाता में नियुक्त चीन के महावाणिज्य दूत ने कहा कि भारत को ही इस समस्या का हल निकालना होगा. लियोउ ने एक कार्यक्रम के इतर पत्रकारों से कहा, ‘यह भारत का आंतरिक मामला है. हमारे पास इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है. यह आपका देश है और आपको अपने मुद्दे खुद ही हल करने होंगे.' उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध हैं.

बता दें, देशभर में बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कुछ नरमी आयी . एक ओर पुलिस और अर्द्धसैन्य बलों ने दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में फ्लैग मार्च किया तो दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय ने विवादित कानून की संवैधानिक वैधता की जांच करने का फैसला किया लेकिन उसके कार्यान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. दिल्ली के सीलमपुर और जाफराबाद इलाकों में हालात नियंत्रण में रहे लेकिन अधिकारियों ने एहतियातन निषेद्याज्ञा लगा दी. यहां मंगलवार को कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान 12 पुलिसकर्मियों समेत 21 लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने मंगलवार को हुई हिंसा के संबंध में अभी तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया है.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में लगातार तीसरे दिन बुधवार को रैली निकाली. बनर्जी ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने देश को जलता हुआ छोड़ दिया है और उन्हें ही आग बुझानी होगी.  अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में हिंसा की किसी नयी घटना की रिपोर्ट नहीं है और असम भी शांत है. इन दोनों राज्यों में 11 दिसंबर को संसद द्वारा विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे.

दिल्ली में तीसरे दिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर छात्रों और स्थानीय निवासियों समेत प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन जारी रहा. इसमें शामिल होते हुए पूर्व जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि यह प्रदर्शन न केवल मुस्लिमों को बचाने की लड़ाई है बल्कि पूरे देश की रक्षा की लड़ाई है. विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि लोगों को राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर अधिक चिंतित होना चाहिए जो कि विवादित नागरिकता कानून के मुकाबले कहीं अधिक खतरनाक है.

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बसपा सांसदों ने संशोधित नागरिकता क़ानून को ‘‘विभाजनकारी'' बताते हुए बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और इस कानून को वापस लेने की मांग करते हुए उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. पार्टी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और नदवा कॉलेज के छात्रों पर ‘‘पुलिस कार्रवाई'' की न्यायिक जाँच कराने की भी माँग की.

महाराष्ट्र में मुस्लिम बहुल मुंब्रा समेत कई हिस्सों और मध्य प्रदेश के भोपाल में भी प्रदर्शन हुए. भोपाल के इकबाल मैदान में नागरिकता संशोधन कानून को ‘काला कानून' करार देने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष हमला करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि मुस्लिम माताओं और बहनों का ध्यान रखने के अलावा ‘‘प्रथम सेवक'' को ‘‘प्रथम सेविका'' का भी ध्यान रखना चाहिए.

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मद्रास विश्वविद्यालय में छात्रों के एक धड़े ने इस कानून के खिलाफ लगातार तीसरे दिन बुधवार को भी प्रदर्शन किया. मक्कल नीधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने मद्रास विश्वविद्यालय का दौरा किया और विरोध कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया. हालाँकि, उन्हें मुख्य परिसर में घुसने की अनुमति नहीं दी गई और उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों से विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के पीछे से ही बात की.