सुरक्षा बलों द्वारा आपत्ति उठाए जाने के बाद भारत ने चीन के इस अनुरोध को खारिज कर दिया है कि लापता मलेशियाई विमान का पता लगाने के लिए उसके चार युद्धपोतों को भारतीय जलक्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाए।
लापता हुए विमान में चीन के 150 नागरिक सवार थे। चीन ने भारत से यह औपचारिक अनुरोध किया था कि फंसे या डूबे हुए विमान को निकालने वाले पोत तथा तेज गति से चलने वाली दो नौकाओं सहित उसके चार युद्धपोतों को अंडमान सागर के जलक्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी जाए, ताकि विमान का पता लगाया जा सके।
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि इस अनुरोध पर शिष्टता से इनकार कर दिया गया। चीनी नौसेना को बताया गया कि भारतीय नौसेना एवं वायुसेना क्षेत्र में पहले ही तलाश कर रही है तथा इस इलाके में किसी और को तलाश करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों ने भारतीय जल क्षेत्र विशेषकर बंगाल की खाड़ी में चीनी युद्धपोतों के प्रवेश पर आपत्तियां जताई थीं। बंगाल की खाड़ी में भारतीय सैन्य साजो-समान को चीन के खिलाफ रक्षा के लिए तैनात किया गया है। यदि चीनी युद्धपोत इस क्षेत्र में आते हैं, तो भारतीय सैन्य साजो-समान के बारे में उन्हें पता लग जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि चीन की जनमुक्ति सेना की नौसेना (प्लान) ने हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को जल दस्युओं के विरूद्ध की जाने वाली गश्त के नाम पर उचित ठहराया है। उसने कहा है कि महज तलाशी अभियान की बजाय उसे अंडमान सागर में एक केंद्र बनाने की इजाजत देना अधिक बुद्धिमत्तापूर्ण होगा।
इस बीच, भारत पी 81 नौवहन निगरानी विमान तथा सी 130जे सुपर हरक्यूलस विमान सहित लंबी दूरी वाले नौवहन निगरानी विमानों को इंडोनेशिया के दक्षिण में नए स्थानों पर तलाश में तैनात करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ये दोनों विमान लंबी दूरी की उड़ान भरने तथा निर्धारित स्थल पर अपना ईंधन भरने में सक्षम हैं।
मलेशियाई अधिकारियों ने भारत एवं अन्य देशों से हिन्द महासागर क्षेत्र में जकार्ता से 5000 किमी दक्षिण के इलाकों में तलाश करने को कहा है। भारत अभी तक अपने छह युद्धपोत एवं पांच नौवहन निगरानी विमानों को लापता विमान की तलाश के लिए लगा चुका है। लापता विमान में 239 लोग सवार थे।
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