विपक्ष को सरकार ने बताया- सड़क निर्माण कर भारत के हितों को बाधित कर रहा है चीन

सोमवार से शुरू हो रहे संसद के सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में सरकार ने विपक्ष के नेताओं को दी जानकारी

विपक्ष को सरकार ने बताया-  सड़क निर्माण कर भारत के हितों को बाधित कर रहा है चीन

चीन सीमा पर तनाव और कश्मीर में अशांति के मुद्दों को लेकर शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक हुई.

खास बातें

  • भारत-भूटान-चीन ट्राईजंक्शन में भारतीय सेना व चीनी आर्मी में गतिरोध
  • डोभाल 26-27 जुलाई को चीन जाएंगे और भारत का पक्ष रखेंगे
  • विपक्षी दल सरकार की सफाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे
नई दिल्ली:

चीन सीमा पर तनाव और कश्मीर के हालात को लेकर शुक्रवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक आयोजित की. इस बैठक में सरकार ने विपक्ष के नेताओं को बताया कि चीन भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास सड़क बना रहा है जो कि भारत के लिए एक खतरा है. लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल चीन जाएंगे और उसके सामने भारत का पक्ष रखेंगे.

सोमवार से शरू होने जा रहे संसद के सत्र से पहले सरकार ने सर्वदलीय बैठक कर कश्मीर और चीन के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा, हालांकि विपक्ष सरकार की सफाई से संतुष्ट नहीं दिखा.

शुक्रवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर सर्वदलीय बैठक का सिलसिला कई घंटे चला. इसमें 14 दलों के 19 नेता जुटे. राजनाथ के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री अरुण जेटली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल तथा विदेश सचिव एस जयशंकर समेत शीर्ष अधिकारियों ने विपक्ष के नेताओं को हालात की जानकारी दी.

अधिकारियों ने बताया कि डोभाल और जयशंकर ने कांग्रेस, वामपंथी दलों, राकांपा और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं के सामने विस्तृत प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि भारतीय सेना का भारत-भूटान-चीन ट्राईजंक्शन में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ गतिरोध चल रहा है.

शीर्ष मंत्रियों ने विपक्ष के नेताओं को बताया कि डोभाल 26-27 जुलाई को चीन जाएंगे और चीन के वार्ताकारों के सामने भारत का पक्ष रखेंगे.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोकलाम के हालात पर राजनीतिक दलों को वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों की ओर से ब्रीफिंग में कूटनीति के माध्यम से भारत और चीन के साझेदारी रखने के महत्व को रेखांकित किया गया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, ‘‘बैठक में शामिल हुए सभी दलों ने भारत के रुख का पूरा समर्थन किया और राष्ट्रीय एकता की जरूरत पर जोर दिया. कूटनीति के माध्यम से भारत और चीन के साझेदारी रखने के महत्व को रेखांकित किया गया.’’

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि उनकी पार्टी ने सरकार की नीति को लेकर कुछ संदेह प्रकट किए हैं लेकिन स्पष्ट किया कि ‘‘राष्ट्र प्रथम है-चीन हो या कश्मीर.’’ दोनों नेताओं ने कहा, ‘‘बहुत तनाव (चीन के साथ) है और कूटनीति के जरिए इसे कम किया जाना चाहिए. हम संसद में भी इस मुद्दे को उठाएंगे.’’ शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने अपना रुख साफ किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता में है और सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर कूटनीतिक तरीके से हालात से निपटना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उनकी पार्टी ने कुछ गंभीर सवाल उठाए और दावा किया कि सरकार के पास इस तरह की घटनाओं की तैयारी पर उनके सवाल का कोई जवाब नहीं है.

विपक्षी नेताओं को गत सोमवार को आतंकवादियों द्वारा सात अमरनाथ यात्रियों की हत्या किए जाने के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात और सरकार की कार्रवाई के बारे में भी बताया गया. केंद्रीय गृह सचिव मनोनीत किए गए राजीव गाबा ने कश्मीर पर बात रखी.

सरकार के मुख्य प्रवक्ता फेंक नोरोन्हा ने कहा कि बैठक का मुख्य उद्देश्य विभिन्न दलों के सांसदों को चीन-भारत सीमा के हालात के बारे में और अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले के बारे में अवगत कराना था. राजग के सहयोगी दल शिवसेना के सांसद आनंदराव अडसुल ने कहा कि सरकार को चीन से निपटने में और अधिक आक्रामक रुख अपनाना होगा.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बताया कि सरकार ने चीन के साथ विवाद को सुलझाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सभी ने सरकार को समर्थन देने का वादा किया.

बैठक में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, सपा के मुलायम सिंह यादव, राकांपा के तारिक अनवर और जदयू के शरद यादव एवं के सी त्यागी ने भी भाग लिया.

वीडियो- सरकार ने रखा अपना पक्ष



भारत-भूटान-तिब्बत के बीच में पड़ने वाले सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में चीन द्वारा यथास्थिति को बिगाड़ने के प्रयास करने का भारत ने दावा किया है. चीन एवं भारत के बीच डोकलाम क्षेत्र में पिछले तीन सप्ताह से तनातनी बनी हुई है. यह तनातनी चीनी सेना द्वारा एक सड़क निर्माण का प्रयास करने के बाद शुरू हुई. भारत इस क्षेत्र को डोक ला कहता है जबकि भूटान इस क्षेत्र की पहचान डोकलाम के रूप में करता है. चीन इसे अपने डोंगलांग क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करता है.

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में सात तीर्थयात्रियों की आतंकवादियों ने उस समय हत्या कर दी थी जब वे सोमवार को अमरनाथ गुफा से दर्शन कर लौट रहे थे. राज्य के चार जिलों पुलवामा, कुलगाम, शोपियां एवं अनंतनाग में आठ जुलाई 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से अशांति व्याप्त है. नौ अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव के बहिष्कार के बाद यह अशांति फिर से शुरू हो गई.

विपक्षी नेताओं ने चीन एवं कश्मीर मुद्दों से निपटने में सरकार के तौर तरीकों की आलोचना की है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर गत बुधवार को सवाल उठाया था. उन्होंने मोदी पर ऐसी नीतियों पर चलने का आरोप लगाया जिसके कारण कश्मीर में आतंकवादियों को मौका मिला.
(इनपुट एजेंसिंयों से भी)


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