
प्रतीकात्मक फोटो.
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492 किलोमीटर लंबा चेन्नई-बेंगलुरु-मैसूर गलियारा अधर में लटका
एक साल पहले चीनी कंपनी ने अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी
डोकलाम विवाद की वजह से देरी पर संदेह
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मोबिलिटी निदेशालय द्वारा तैयार किए गए नोट में कहा गया है, 'चीनी कंपनी ने नवंबर 2016 में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद चीन की एक टीम ने आमने-सामने बातचीत का सुझाव दिया था. बातचीत के लिए तारीख निश्चित नहीं गई थी. नोट में परियोजना में विलंब का कारण चीनी रेलवे की ओर से 'प्रतिक्रिया की कमी' को बताया गया है. सूचना में यह भी कहा गया है कि चीन रेलवे एरीयुआन इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड (सीआरईईसी) ने व्यवहार्यता अध्ययन की रिपोर्ट नवंबर 2016 में रेलवे बोर्ड को सौंप दी थी और बैठक की मांग की थी.
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अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड सीआरईईसी के संपर्क में नहीं है. पिछले 6 महीने में उन्हें कई मेल संदेश भेजकर संपर्क करने की कोशिश की गई थी. एक अधिकारी ने बताया कि हमने उनसे दूतावास के जरिये भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि भूटान के डोकलाम में दोनों देशों के बीच हुए गतिरोध के कारण परियोजना पटरी से उतर गई है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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