नेताओं और शिक्षक संघों के टकराव के बीच अधर में लटका कश्‍मीरी बच्‍चों का भविष्‍य

नेताओं और शिक्षक संघों के टकराव के बीच अधर में लटका कश्‍मीरी बच्‍चों का भविष्‍य

खास बातें

  • राज्य के शिक्षक संघों का सरकार से टकराव भी स्कूल न खुलने की एक वजह है
  • शिक्षा मंत्रालय में प्रशासनिक सेवा के अफ़सरों की नियुक्ति पर टकराव है
  • सवाल उठाया जा रहा है कि आख़िर राज्य सरकार स्कूल क्यों नहीं खुलवा पा रही
श्रीनगर:

कश्‍मीर घाटी में स्कूल पिछले तीन महीनों से बंद हैं. क्या इसके पीछे सिर्फ़ घाटी में हो रही हिंसा वजह है या फिर राज्य के शिक्षा मंत्री और शिक्षक संघों  के बीच का तनाव. खली पड़े क्लास रूम, सुने पड़े कॉरिडोर और गेट पर लगे ताले. ये श्रीनगर के मशहूर बर्न हॉल स्कूल का हाल है. यही हालत डीपीएस, बिसको और दूसरे स्कूलों का भी है.

सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि आख़िर राज्य सरकार स्कूल क्यों नहीं खुलवा पा रही है. जानकार कहते हैं अगर सरकार चाहे तो पहल इन स्कूल से की जा सकती है. बर्न हॉल स्‍कूल के प्रिन्सिपल फ़ादर जॉन पॉल ने एनडीटीवी से कहा, 'प्रशासन की तरफ़ से जो पहल हो रही है वो काफ़ी नहीं है. कई बच्चे स्कूल छोड़ दूसरे शहर भी जा रहे हैं.'

 

वैसे राज्य प्रशासन के मुताबिक़ राज्य में क़रीब 2500 प्राइवेट स्कूल हैं, 1200 सरकारी स्‍कूल हैं और इनमें क़रीब 14 लाख छात्र पढ़ रहे है. एनडीटीवी इंडिया ने कई प्रिंसिपलों, शिक्षकों और प्रशासन में अफ़सरों से बात की. तब पता चला कि दरअसल मसला इतना आसान नहीं है. राज्य के शिक्षक संघों का सरकार से टकराव भी स्कूल न खुलने की एक वजह है. केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंची एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ अरसा पहले हाइकोर्ट ने रहबरे तालीम के टेस्ट के लिए आदेश दिए. राज्य सरकार ने इसकी प्रक्रिया शुरू की. लेकिन शिक्षक संगठनों की नाराज़गी के बाद इसे वापस लिया गया.फिर भी बाहर से डिग्रियां लेने वालों की जांच चलती रही.
 

मामला तब और बिगड़ गया जब इस टकराव में शिक्षा विभाग ने मनचाहे तबादले किए. यही नहीं, सरकार ने शिक्षक संघ का बेमिना में दफ़्तर बंद करा दिया. शिक्षा मंत्रालय में कश्मीरी प्रशासनिक सेवा के अफ़सरों की नियुक्ति पर भी टकराव है. घाटी में क़रीब 68000 शिक्षक हैं जो इस टकराव का हिस्सा हैं. अब वही घाटी में अशांति को भी बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. बच्चे दरअसल घाटी की अशांति की ही नहीं, इस टकराव की भी सज़ा भुगत रहे हैं. उधर अभिभावकों की चिंता क्लास 12वीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर है जो नवंबर में है. फ़ादर जॉन का कहना है, 'हम छात्रों को ऑनलाइन मैटेरियल दे रहे हैं लेकिन दिक़्क़त ते गई की घाटी में इंटरनेट भी नहीं चल रहा.' इस बीच जिन स्कूलों की बसें हैं, वो भी डर के मारे बंद हैं.

'घाटी में कोई भविष्य नहीं है हर साल कुछ ना कुछ हो जाता है जिसके कारण स्कूल बंद हो जाते हैं. बच्चों की क्लास पर असर पड़ रहा है.' ये कहना है माइकल का जिसके दो बच्चे हैं. कई बच्चे पढ़ने के लिए राज्य के बाहर चले गए हैं, लेकिन जब लाखों बच्चों का मामला हो तो सरकार और शिक्षकों को ये टकराव फ़ौरन टालना चाहिए.

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