चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने चीन (China) को भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा बताया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जनरल रावत ने कहा, 'भारत के लिए चीन सुरक्षा के लिहाज से बड़ा खतरा बन गया है और हजारों की संख्या में सैनिक और हथियार, जो नई दिल्ली ने हिमालयी सीमा को सुरक्षित करने के लिए पिछले साल भेजे थे, लंबे समय तक बेस पर वापस नहीं लौट सकेंगे. 'जनरल रावत ने गुरुवार देर रात कहा, 'परमाणु हथियार संपन्न दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में विश्वास की कमी और संदेह आड़े आ रहा है.' पिछले माह भारत और चीन के मिलिट्री कमांडर्स के बीच 13वें राउंड की वार्ता बिना नतीजे के समाप्त हुई थी और दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति नहीं बन पाई थी कि सीमा से कैसे पीछे हटना है. पिछले साल गर्मियों में भारत और चीन के बीच, चार दशक की सबसे घातक हिंसक झड़प के बाद पीएम नरेंद्र मोदी प्रशासन ने लंबे समय के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पर से रणनीतिक फोकस हटाकर चीन पर केंद्रित कर दिया है.
पिछले जून में, 3488 किमी की सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच आमने-सामने की झड़प में 20 भारतीय सैनिकों और चार चीनी सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी. इसके बाद से चीन और भारत, दोनों ही हिमालयन सीमा पर बुनियादी ढांचे, सैनिकों और अन्य साजोसामान में इजाफा कर रहे हैं.
सीडीएस का यह कमेंट हाल के भारत के विदेश मंत्रालय के उन क्षेत्रों में चीन के नए निर्माण को लेकर की गई टिप्पणी से मेल खाता है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) के साथ चीनी, गांवों का निर्माण कर रहे हैं. जनरल रावत ने कहा, 'चीनी, हमारे साथ हाल के 'फेसऑफ' के बाद संभवत: अपने नागरिकों या सैनिकों को बसाने के लिए गांवों का निर्माण कर रहे हैं. 'सीडीएस जनरल रावत ने इस बात पर भी चिंता जताई कि तालिबान का शासन भारत की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और इसके चलते जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को अफगानिस्तान से गोला बारूद का 'समर्थन' मिलने की संभावना बढ़ गई है. भारत के सैन्य प्रतिष्ठान को इस बात की चिंता सता रही कि आतंकी संगठन के सत्ता में आने से क्षेत्र में सक्रिय आतंकी ग्रुपों को मदद मिल सकती है.
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