सुप्रीम कोर्ट के CJI दीपक मिश्रा
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में स्वतंत्रता दिवस समारोह CJI दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी भी संस्थान की आलोचना करना या नष्ट करने की कोशिश करना आसान है, जबकि संस्थान को आगे ले जाना और अपनी निजी आकांक्षाओं को परे रखकर संस्थान को आगे बढ़ाना मुश्किल काम है और वो हम करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि मैं कानून मंत्री की बातों से सहमत नहीं हू्ं, जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी उन्होंने आपकी प्रशंसा के लिए ये नहीं किया. वो अपने देश और अधिकारों के लिए लड़े. चीफ जस्टिस ने कहा कि आज जश्न का मौका है इसलिए इसे मनाया जाए और तय किया जाए कि हम कभी न्याय की देवी की आंखों में आंसू नहीं आने देंगे.
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वहीं अटॉर्नी जनरल (AG) के के वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में भीड़भाड़ बहुत रहती है. यहां तक कि कॉरीडार से निकलना भी मुश्किल है. महिला वकीलों को ओर भी दिक्कतें होती हैं उन्हें काफी कुछ सहना पड़ता है. कई जज कहते हैं कि 15 मिनट के गैप के बाद 11.30 बजे केस लेंगे. लाइव स्ट्रीमिंग का मामला अभी लंबित है अगर ये होगा तो सुविधा होगी. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने ज्यादा कुछ नहीं किया है. एक विकल्प ये है कि बड़ी इमारत जो महंगा विकल्प है. उम्मीद है अगले स्वतंत्रता दिवस तक इससे छुटकारा मिलेगा.
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केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम PIL का सम्मान करते हैं मगर कोर्ट को शासन का काम उन लोगों पर छोड देना चाहिए जिन्हें लोगों ने चुनकर भेजा है. कोर्ट को तब दखल देना चाहिए जब सरकार कुछ गलत कर रही हो. आज वक्त बदल चुका है. आम नागरिक जानते हैं कि वो किसी भी राजनीतिक पार्टी को सत्ता से हटा सकते हैं. ये भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि एक खालिस्तानी नेता को मैंने देश के टुकड़े करने की बात करते सुना और बाद में उसे संविधान की शपथ लेते हुए सुना. आज हर व्यक्ति अपने अपने अधिकारों को जानता है. गरिमापूर्ण जीवन को समझता है. सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा अधिकारों की रक्षा की है और ये पूरे देश के लिए गर्व की बात है. यहां एक दिक्कत है. क्या कानून मंत्री AG की बातों पर कमेंट कर सकता है. यहां सुप्रीम कोर्ट की दिक्कतों की बात हुई. मैं कानून मंत्री के तौर पर हर संभव मदद करने को तैयार हूं. लेकिन आज आजादी का समारोह मनाने का दिन है ना कि सुप्रीम कोर्ट की भीड़ की जिक्र करने का.
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