यह ख़बर 08 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

चिदम्बरम ने दिए और सुधारों के संकेत...

खास बातें

  • केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को दृढ़ता के साथ संकेत दिया कि घरेलू राजनीतिक विरोध के बाद भी केंद्र सरकार आर्थिक विकास में तेजी लाने और निवेश आकर्षित करने के लिए एक के बाद एक आर्थिक और वित्तीय सुधार जारी रखेगी।
नई दिल्ली:

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को दृढ़ता के साथ संकेत दिया कि घरेलू राजनीतिक विरोध के बाद भी केंद्र सरकार आर्थिक विकास में तेजी लाने और निवेश आकर्षित करने के लिए एक के बाद एक आर्थिक और वित्तीय सुधार जारी रखेगी।

चिदम्बरम ने सलाना आर्थिक सम्पादकों के सम्मेलन में कहा, "सुधार नहीं करने पर आर्थिक सुस्ती के तेजी से गहराने का जोखिम है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते खासकर इसलिए कि एक बड़ी आबादी के लिए रोजगार पैदा करने की जरूरत है, जिनमें अधिकतर युवा हैं।"

अप्रैल-जून तिमाही में लगभग नौ सालों में न्यूनतम विकास दर 5.5 फीसदी दर्ज किया गया। वर्ष 2011-12 में आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें फैसला लेने की प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हर सरकार को नीति बनाने का अधिकार है। नीति का विरोध जायज है लेकिन बाधा पैदा करना नहीं।"

उनके अनुसार, "वर्तमान सरकार को निश्चित रूप से नीति बनाने दिया जाना चाहिए, जहां भी जरूरी हो कानून पारित करने दिया जाना चाहिए और उन नीतियों का कार्यान्वयन करने दिया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सुधार करने के कारण तीसरी और चौथी तिमाही में निवेश बढ़ेगा और अगले पांच सालों में आठ फीसदी विकास दर हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी निवेश से आर्थिक तेजी को बल मिलेगा। उन्होंने कहा, "एक बार घरेलू निवेश बढ़ना शुरू होने और विदेशी निवेश आना शुरू होने के बाद स्थिति बेहतर हो जाएगी।" उन्होंने कहा, "बेहतरी के लिए जो भी सम्भव होगा मैं करुंगा।"

बहु ब्रांड खुदरा कारोबार और बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा कि वास्तविक जमीन पर इसकी परीक्षा की जानी चाहिए कि इससे देश को क्या लाभ मिला। सिर्फ सोच और सिद्धांत के आधार पर विरोध नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें देश में विदेशी निवेश से डरने की जरूरत नहीं है। हमें यह तय करने का पूरा अधिकार है कि देश में कहां और निवश आने दिया जाए।" उन्होंने कहा कि खुदरा व्यापार, उड्डयन और एफएम रेडियो प्रसारण में एफडीआई ऐसे फैसले हैं, जिससे अर्थव्यवस्था और देश लाभान्वित होगा। उन्होंने हालांकि माना कि विरोधी वैश्विक स्थिति के कारण मौजूदा कारोबारी साल में 7.6 फीसदी विकास दर का बजटीय लक्ष्य हासिल हो पाने की सम्भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ सुस्ती के बाद भी भारत दुनिया के सबसे अधिक विकास दर वाले देशों में रहेगा। उन्होंने यह भी कहा, "यदि विकास दर 7.6 फीसदी के लक्ष्य से कम रहा तो भी हमारी विकास दर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की औसत दर से चार गुनी और वैश्विक अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर की दोगुनी रहेगी।"

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चिदम्बरम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में देश की स्थिति बहुत बेहतर है। वश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2010 में 5.3 प्रतिशत से गिरकर अगले दो सालों में 3.9 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत हो गई। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में भी 3.2 प्रतिशत, 1.6 प्रतिशत तथा 1.4 प्रतिशत विकास दर दर्ज की गई। उन्होंने कहा, "भारत इससे अप्रभावित नहीं रह सकता था।" उन्होंने कहा, "याद रखना चाहिए कि पिछले आठ सालों में सिर्फ दो सालों (2008-09 और 2011-12) में ही हमारी विकास दर सात फीसदी से कम रही।"