केन्द्रीय गृह मंत्री ने आंध्र प्रदेश के पुलिस मुखिया के इस बयान को शुक्रवार को खारिज कर दिया कि महिलाओं के पारदर्शी कपड़े पहनने से उनका बलात्कार करने के लिए उकसावा मिलता है। उन्होंने कहा कि कैसा कपड़ा पहने, इसकी पुलिस निगरानी नहीं हो सकती है।
चिदंबरम ने कहा, ‘मैं इस बात से पूरी तरह असहमत हूं। हर किसी को अपनी पसंद के कपड़े पहनने का अधिकार है। कपड़े मौके के हिसाब से होने चाहिए। जाहिर है कि आप जब फुटबॉल या टेनिस खेलने जाते हैं तो ऊपर से नीचे तक कपड़ों में लिपटकर नहीं जाते और किसी कॉकटेल पार्टी में जाते हैं तो तैराकी के कपड़े (स्विमसूट) नहीं पहनकर जाते।’
आम तौर पर गंभीर रहने वाली चिदंबरम की प्रेस कांफ्रेंस में उनके इतना बोलते ही ठहाके लगे। सवाल करने वाले पत्रकार ने जब आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को ‘एपीडीएजी’ कहा तो चिदंबरम ने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराते हुए कहा कि वह समझ ही नहीं पाये थे। उन्हें लगा कि यह कोई नया आतंकवादी संगठन है, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
चिदंबरम ने कहा, ‘ओह, आंध्र प्रदेश के डीजी। मैंने सोचा कि एपीडीजी कोई नया उग्रवादी संगठन है, जिसकी आप बात कर रहे हैं। ऐसा लगा कि मुझे अपनी सूची में एक और समूह का नाम शामिल करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इस तरह की चीजों की पुलिस निगरानी नहीं हो सकती और न ही पुलिस महानिदेशक ऐसा कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि आंध्र के पुलिस महानिदेशक वी दिनेश रेडडी ने बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए महिलाओं के फैशनेबल कपडों को जिम्मेदार माना है।
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