छत्तीसगढ़ पीडीएस घोटाला : क्या जांच करने में सक्षम है एंटी करप्शन ब्यूरो?

छत्तीसगढ़ पीडीएस घोटाला : क्या जांच करने में सक्षम है एंटी करप्शन ब्यूरो?

रायपुर:

छत्तीसगढ़ का पीडीएस घोटाला रमन सिंह सरकार के लिये बड़ी मुश्किल बना हुआ है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है।
 
याचिकाकर्ताओं में से एक हैं वीरेंद्र पांडे  जिनकी मांग है कि राज्य में हुए करोडों के नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले (जिसे राशन घोटाले या नान घोटाले के रूप में भी जाना जाता है) की जांच या तो सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक एसआईटी करे या फिर इस मामले की तफ्तीश सीबीआई को सौंपी जाये। वीरेंद्र पांडे कहते हैं कि एंटी करप्शन ब्यूरो के चीफ आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता हैं जो रमन सिंह द्वारा उपकृत हैं। इस मामले की जांच या तो सीबीआई से कराई जानी चाहिये या फिर इसके लिये सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी का गठन होना चाहिये।
 
वीरेंद्र पांडे इस मामले में अकेले याचिकाकर्ता नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में इसी तरह की मांग को लेकर तीन और याचिकाएं दी गई हैं। उन्हीं में से एक याचिका लगाने वाले राकेश चौबे कहते हैं कि मामले की जांच कर रही एसीबी ने अदालत में जो दस्तावेज़ पेश कर किये हैं उनमें भी काफी गड़बड़ है। राकेश चौबे ने एनडीटीवी इंडिया से कहा ‘असली डायरी के पन्नों को गायब कर दिया गया है और जो पन्ने अदालत में पेश किये गये हैं वो नकली पन्ने हैं।’
 
इसी साल फरवरी में छत्तीसगढ़ के इस नागरिक आपूर्ति निगम के दफ्तर में पड़े छापों के बाद करोडों रुपये के घोटाले का भंडाफोड़ हुआ। अफसरों की अलमारियों से ही करोड़ों रुपये बरामद हुये। इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मचारियों समेत कई लोग अभी जेल में हैं। लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो पर आरोप लग रहा है कि वह इस मुद्दे में ढिलाई दिखा रहे हैं। छापों में पकड़ी गई डायरियों में कई ताकतवर लोगों के करीबियों से तार जुड़ने के आरोप लग रहे हैं। एक एंट्री में रायपुर की एश्वर्या रेसीडेंसी में 3 लाख रुपये दिये जाने की बात है।

इसी अपार्टमेंट में मुख्यमंत्री रमन सिंह की साली रहती हैं। सवाल उठ रहा है कि इस बात की जांच क्यों नहीं की जा रही कि अगर पैसा एश्वर्या रेसीडेंसी में आया तो फिर किसके पास पहुंचा। सवाल ये भी उठ रहा है कि एसीबी ने दो आईएएस अधिकारी, नागरिक आपूर्ति निगम के एमसी रहे आलोक शुक्ला और चेयरमैन रह चुके अनिल टुटेजा का नाम तो चार्जशीट में शामिल किया है लेकिन इस घोटाले के दरमियान खाद्य सचिव रहे आएएस अधिकारी विकासशील की जांच क्यों नहीं हो रही जबकि उनका नाम भी पकड़ी गई डायरी के पन्नों में दिखता है।
 
राजस्थान पत्रिका अख़बार के रिपोर्टर राजकुमार सोनी कहते हैं कि उन्होंने मामले के प्रमुख आरोपी शिवशंकर भट्ट का स्टिंग ऑपरेशन किया था। इस ऑपरेशन को पत्रिका अख़बार में अपने पहले पन्ने पर छापा। सोनी का दावा है कि भट्ट ने कई ताकतवर लोगों को नाम लिए है जिसमें बड़े अधिकारी और मंत्री शामिल हैं लेकिन एसीबी उनसे कोई मदद नहीं ले रही है। सोनी ने इस मामले में जिस शिवशंकर भटट्ट से कई तथ्य जानने का दावा किया है आरोप है कि उसके ज़रिये ही पैसे के कई लेन देन हो रहे थे।  
 
एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस बारे में एनडीटीवी इंडिया से अबी कोई बात नहीं की है लेकिन एसीबी के प्रमुख मुकेश गुप्ता पहले ही कह चुके हैं कि वह अपनी जांच में किसी को बख्शने वाले नहीं हैं। हालांकि उन्होंने इस घोटाले के भंडाफोड़ के बाद ये भी कहा कि उनकी जांच की अपनी सीमायें भी हैं। उधर राज्य के पीडीएस मंत्री पुन्नूलाल मोहिले कहते रहे हैं कि उन्हें किसी जांच का डर नहीं है लेकिन एनडीटीवी इंडिया की और से ताज़ा सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि मामला अदालत में है और वह इस पर अभी कुछ नहीं कह सकते।
 
साफ है कि राशन घोटाले को लेकर रमन सिंह सरकार पर गंभीर आरोप हैं और मामले की कई परतें हैं जिन्हें खोलने के लिये एंटी करप्शन ब्यूरो जैसी जांच एजेंसी के पास पर्याप्त  ताकत नहीं दिखती। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में क्या होता है। 

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