केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने पर यूपीए सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे जयराम रमेश ने कड़ी आपत्ति जताई है। इस अध्यादेश के तहत सरकार ने जमीन अधिग्रहण की मौजूदा शर्तों में ढील देते हुए उसे काफी आसान बना दिया है।
जयराम रमेश का कहना है कि सरकार जो अध्यादेश लाई है, वह बिल्कुल अस्वीकार्य है और यह किसानों और जमीन मालिकों के हितों के खिलाफ है। रमेश ने कहा कि यह 1894 में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून की ओर लौटने वाला कदम है।
रमेश के मुताबिक सरकार इस मुद्दे पर जल्दबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण कानून में जो बदलाव की बात है, उससे जरूरत से ज्यादा जमीन अधिग्रहित करने का रास्ता खुलेगा और निजी कंपनियां जबरन जमीन ले पाएंगी। यही नहीं अधिग्रहित की गई जमीनों का दूसरे मकसदों के लिए बेजा इस्तेमाल भी किए जाने की आशंका है।
कांग्रेस नेता रमेश ने कहा, सरकार भले ही लोकसभा में इस बिल को पास करा ले, लेकिन राज्यसभा में हम इसे पास नहीं होने देंगे, क्योंकि दूसरी पार्टियां हमारे साथ हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस कानून के लिए संयुक्त सत्र बुला सकती है।
पिछली यूपीए सरकार के दौरान लागू किए गए कानून में संशोधन के मकसद से अध्यादेश का रास्ता अपनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन दो लक्ष्यों को पूरा करते हैं, जिनमें किसानों का कल्याण और देश की रणनीतिक तथा विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रक्रिया में तेजी लाना शामिल है।
पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, "संशोधन का महत्वपूर्ण पहलू किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे या लाभों से कोई समझौता किए बिना विकास और सुरक्षा संबंधी कार्यों में तेजी लाना है।"
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