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This Article is From Jul 02, 2015

एफसीआई को गेहूं बेचने वाले पंजाब के किसानों को अब तक नहीं मिला मुआवजा

एफसीआई को गेहूं बेचने वाले पंजाब के किसानों को अब तक नहीं मिला मुआवजा
चंडीगढ़: गेहूं की फसल पर बेमौसम बरसात की मार झेलने वाले किसानों को रहत देने के लिए मोदी सरकार ने अनाज में टूट-फूट के नाम पर काटे गए 10 रुपये 88 पैसे लौटाने की बात कही थी। लेकिन 2 महीने बाद भी किसानों को उनकी बकाया राशि अभी तक नहीं मिल पाई है।

चंडीगढ़ के किसान करनैल सिंह ने पंजाब की खरड़ मंडी में जो गेहूं बेचा था, उसके उन्हें पूरे दाम मिले यानी 1450 रुपये प्रति क्विंटल, लेकिन चंडीगढ़ की मंडी में खरीद एफसीआई (फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने की तो लगभग 11 रुपये कम मिले। किसान संगठनों के इल मामले पर हल्ला मचाने पर केंद्र ने नुकसान की भरपाई का भरोसा दिया था।

केंद्र सरकार पंजाब के किसानों की बकाया 2 करोड़ रुपये की राशि देने से पीछे हट रही है। ये रक़म सुनने में भले ही कम लग रही हो, लेकिन यहां बात वादाखिलाफी की है। करनैल सिंह कहते हैं कि पंजाब में तो पूरे पैसे मिले, लेकिन चंडीगढ़ में कम मिले थे। अब इतना समय बीत गया, पता नहीं अब मिलेगा भी या नहीं।

मुक्तसर अनाज मंडी के आढ़ती बलराज सिंह का कहना है कि किसानों को हमने पूरा पेमेंट दिया, लेकिन हमें पूरी रक़म अभी तक नहीं मिली है। राज्य सरकार केंद्र पर बात टाल रही है और केंद्र राज्य पर। इन दोनों के बीच हमारा नुकसान हो रहा है।

केंद्र सरकार की एजेंसी एफसीआई ने पंजाब में कुल 18.48 लाख मीट्रिक टन गेहूं सीधे किसानों से खरीदा था, जबकि 80 लाख टन अनाज की खरीद पंजाब सरकार की एजेंसियों के ज़रिए हुई। वहीं, खरीद में देरी पर खूब सियासत भी हुई थी।

भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल बताते हैं कि देश में पहली बार किसी सरकार ने वैल्यू कट लगाया। पंजाब सरकार की एजेंसियों ने तो किसानों को पूरा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) दिया, लेकिन एफसीआई ने सिर्फ 1439 रुपये के हिसाब से पेमेंट किया, जिसे देने में अब वो आनाकानी कर रही है।

केंद्र सरकार के वादे के उलट अप्रैल को जारी एफसीआई के आदेश के मुताबिक, अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि आढ़तियों को उनकी तरफ से जो पेमेंट की जाए, वह वैल्यू कट की राशि काट कर हो। लेकिन खत में साथ ही ये भी कहा गया है कि आढ़ती किसानों को पूरा एमएसपी अदा करें, क्योंकि नुकसान की भरपाई का वादा बादल सरकार ने किया है, लेकिन मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि ये ज़िम्मेदारी तो केंद्र की है।

इस बाबत सवाल पूछने पर प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि हम जो भी खरीद करते हैं, वो खरीद केंद्र सरकार के लिए होती है, पेमेंट करना उनकी ज़िम्मेदारी है। जो भी देना है, केंद्र ही देगा।

पंजाब के जिन किसानों ने सीधे एफसीआई को अनाज बेचा था, उन पर ये दोहरी मार है। पहले तो राज्य सरकार ने फसल के खराब होने का मुआवजा नहीं दिया और अब केंद्र सरकार अपने वादे से मुकर रही है।

कर्ज़ के जाल में उलझे किसानों के लिए राहत की बात तो हो रही है, मगर राहत उन तक पहुंच नहीं पा रही। शायद इसलिए सुरजीत सिंह जैसे किसान राहुल गांधी से मदद का भरोसा मिलने के बावजूद आत्महत्या कर रहे हैं।

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