नई दिल्ली:
सड़क दुर्घटनाओं और रैश ड्राइविंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त होता जा रहा है. मंगलवार को कोर्ट ने कहा कि खतरनाक तरीके से वाहन चलाने वालों के खिलाफ सख्त कानून की दरकार है, और इस कानून को कठोर होना चाहिए, भले ही लोग उसे पसंद करें या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें केंद्र सरकार को मजबूर होकर यह कहना पड़ रहा है कि वह कड़े कानून लाए, क्योंकि सड़क दुर्घटनाओं की वजह से जानें लगातार जा रही हैं.
मामले से जुड़ी पिछली सुनवाई में गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सख्त कानून की वकालत की थी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से हालात खराब हैं, और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटे जाने की ज़रूरत है. उन्होंने बताया था कि गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले सिर्फ जुर्माना देकर छूट जाते हैं, जबकि उनकी वजह से सड़कों पर लोगों की जानें जा रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लापरवाही से वाहन चलाने पर सख्त कानून बनना चाहिए. इस तरह की ड्राइविंग से किसी की मौत होने के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कानून की वकालत की थी, और अटॉर्नी जनरल को पेश होने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले भी जजमेंट दे चुके हैं कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी प्रावधान होने चाहिए, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. दरअसल 304 ए के तहत दो साल तक की सज़ा का प्रावधान है और आरोपी को थाने से ही जमानत मिल जाती है.
मामले से जुड़ी पिछली सुनवाई में गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सख्त कानून की वकालत की थी. अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से हालात खराब हैं, और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटे जाने की ज़रूरत है. उन्होंने बताया था कि गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले सिर्फ जुर्माना देकर छूट जाते हैं, जबकि उनकी वजह से सड़कों पर लोगों की जानें जा रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लापरवाही से वाहन चलाने पर सख्त कानून बनना चाहिए. इस तरह की ड्राइविंग से किसी की मौत होने के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कानून की वकालत की थी, और अटॉर्नी जनरल को पेश होने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले भी जजमेंट दे चुके हैं कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी प्रावधान होने चाहिए, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. दरअसल 304 ए के तहत दो साल तक की सज़ा का प्रावधान है और आरोपी को थाने से ही जमानत मिल जाती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सुप्रीम कोर्ट, सड़क दुर्घटना, सड़क हादसा, रैश ड्राइविंग, केंद्र सरकार, नरेंद्र मोदी सरकार, Supreme Court, Road Accidents, Rash Driving, Central Government, Narendra Modi Government