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'देश में कोरोना की तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता.' सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार ने बुधवार को यह चेतावनी जारी की है. डॉ. के विजय राघवन ने ब्रीफिंग के दौरान कहा कि नए स्ट्रेन का मुकाबला करने के लिए वैक्सीन की अपडेट करने की जरूरत होगी, इसके साथ ही टीकाकरण कार्यक्रम को गति भी देनी होगी. गौरतलब है कि भारत इस समय कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है.
मामले से जुड़ी 10 बातें..
डॉ. के विजय राघवन ने कहा कि फेज-3 (कोरोना लहर का) का तीसरा चरण टाला नहीं जा सकता. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह फेज 3 कब आएगा. लेकिन हमें तीसरी लहर को लेकर सचेत रहना होगा.'
नए स्ट्रेन का मुकाबला करने के लिए वैक्सीन की अपडेट करने की जरूरत होगी, इसके साथ ही टीकाकरण कार्यक्रम को गति भी देनी होगी.
उन्होंने कहा कि हमने राज्य सरकारों को जानकारी देकर जरूरी कदम उठाने को कहा है. यूके वरिएंट का असर अब कम हो रहा और नए वेरिएंट प्रभाव दिखा रहे हैं.
यह पूछने पर कि क्या राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन केसों की वृद्धि को रोकने का एकमात्र उपाय है, नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा, 'यदि कुछ और करने की जरूरत होती है तो इन विकल्पों के बारे में हमेशा चर्चा होती रहती है. कोराना संक्रमण की चेन को रोकने के लिए राज्यों के लिए पहले ही एक गाइडलाइन जारी की जा चुकी है. '
पिछले 24 घंटे अब तक सबसे ज्यादा 3,780 लोगों ने कोरोना वायरस की वजह से अपनी जान गंवाई है. इसके साथ ही भारत में 2,26,188 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है.
देश में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के 3,82,315 मामले दर्ज किए गए हैं. देश में अभी 3487229 सक्रिय मामले हैं. वहीं, पॉजिटिविटी रेट की बात करें तो वह 24.80% हो गई है.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है. अस्पतालों को बेड्स और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है.ऑक्सीजन के कमी के कारण कई मरीजों को जान गंवानी पड़ी है.
मेडिकल विशेषज्ञों का मानना है कि देश में कोरोना के कारण वास्तविक रूप से हुई मौतों की संख्या, आधिकारिक आंकड़ों से 5 से 10 गुना अधिक है.
कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर समय रहते कदम न उठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की आलोचना हो रही है. त्यौहार, धार्मिक उत्सवों और राजनीतिक रैलियों को संक्रमण फैलने का मुख्य कारण माना जा रहा है.
विपक्ष इस समय संपूर्ण लॉकडाउन पर जोर दे रहा है लेकिन अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सरकार इससे हिचक रही है. वैसे कई राज्य अपने यहां लंबे लॉकडाउन/कर्फ्यू का ऐलान कर चुके हैं.