
उत्तर प्रदेश में 45 हज़ार से अधिक मदरसों में 7 लाख से ज्यादा बच्चे तालीम ले रहे हैं
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गणित, विज्ञान की शिक्षा देने वाले मदरसों में बंटेगा मीड-डे मील
उत्तर प्रदेश में 48 हज़ार से ज़्यादा सहायता प्राप्त मदरसे हैं
सरकार के इस फैसले को मिलने लगा है लोगों का समर्थन
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस बात के संकेत देते हुए कहा, 'सैद्धांतिक तौर पर इसके पक्ष में हूं. स्कूली शिक्षा मुहैया कराने वाले मदरसों में मिड-डे मील योजना की सुविधा मिले. उसे हम जल्दी लागू करेंगे.'
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मदरसों के प्रतिनिधियों के साथ इस फैसले को लागू करने के तौर-तरीकों पर सलाह-मश्विरा शुरू कर दिया है. नकवी ने बताया कि बीते दिसंबर में मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन की सालाना आम बैठक में इस विषय पर चर्चा की गई और सभी ने एकमत में इस विचार का समर्थन किया.
उन्होंने बताया कि यह सुविधा उन मदरसों में दी जाएगी जहां, मुख्यधारी की पढ़ाई जैसे विज्ञान, गणित और अंग्रेजी आदि विषयों की पढ़ाई की जाती है.
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की इस पहल को समर्थन मिलना भी शुरू हो गया है. महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख मोहम्मद हुसैन खान ने बताया कि वे केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. इससे गरीब परिवारों के लोग अपने बच्चों को ज्यादा तादाद में मदरसों में भेजने को सोचेंगे.
उधर, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. कांग्रेस के नेता मीम अफ़ज़ल कहते हैं कि यह फैसला ऐसे वक्त पर लिया गया है जब पांच राज्यों में चुनावों का ऐलान हो चुका है. यह सरासर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला है.
उत्तर प्रदेश में 48 हज़ार से ज़्यादा मदरसे हैं जिन्हें पिछले 7 वर्षों में सरकार से वित्तीय मदद मिली है.अब वहां मिड-डे मील का फ़ायदा लाखों बच्चों तक जाएगा.
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