यह ख़बर 02 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

केंद्र सरकार को एफडीआई, फेमा पर जीत का भरोसा

खास बातें

  • केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) पर संसद में जीत का भरोसा है।
नई दिल्ली:

केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) पर संसद में जीत का भरोसा है।

खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर लोकसभा में चार-पांच दिसम्बर को चर्चा के बाद मतदान होगा, जबकि राज्यसभा में इस पर बाद में चर्चा और मतदान होगा। दोनों सदनों में मतदान के नियम वाले प्रावधान के तहत चर्चा होने जा रही है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा, "हम संख्या बल को लेकर आश्वस्त हैं। खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर विपक्ष का प्रस्ताव दोनों सदनों में पराजित होगा।" उन्होंने विपक्ष के इस तर्क को भी गलत ठहराया कि फेमा अधिनियम में संशोधन के लिए इसका संसद के दोनों सदनों से पारित होना आवश्यक है। कमलनाथ ने कहा, "यदि यह एक सदन से पारित हो जाता है तो इसका अर्थ है कि यह पारित हो गया। इसे दोनों से पारित होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा नियम में लिखा है।"

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने हाल ही में कहा था कि फेमा संशोधनों का संसद के दोनों सदनों से पारित होना आवश्यक है। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।

इसपर कमलनाथ ने कहा, "कोई भी चीज अदालत जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो हम इससे अदालती प्रक्रिया के जरिये निपटेंगे।"

कमलनाथ ने हालांकि यह भी कहा कि फेमा संशोधन अगले साल फरवरी में होने वाले बजट सत्र तक टाला जा सकता है। सरकार के पास इस पर सहमति लेने के लिए संसद के तीन कामकाजी दिन बचे हैं।

केंद्र सरकार निचले सदन में संख्या बल अपने पक्ष में होने को लेकर आश्वस्त है, जबकि उच्च सदन में संख्या बल उसके पक्ष में नहीं है। कमलनाथ ने कहा, "हम अन्य पार्टियों से अपील कर रहे हैं कि वे प्रस्ताव की राजनीति को खारिज कर दें।"

केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा, "हम दोनों सदनों में समर्थन के लिए अन्य दलों से बातचीत कर रहे हैं।"

सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में एफडीआई पर मतदान को लेकर संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

सपा नेता राम गोपाल यादव पिछले सप्ताह कह चुके हैं कि पार्टी राज्यसभा में एफडीआई का विरोध करेगी। लेकिन सरकारी सूत्रों को भरोसा है कि वे सपा को मनाने में कामयाब होंगे।

संप्रग का दावा है कि 245 सदस्यीय राज्यसभा में इसके सदस्यों की संख्या 90 है, जबकि उसे बाहर से समर्थन देने वाली बसपा, सपा तथा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ इसके पास 117 का संख्या बल है।

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वहीं, विपक्ष का दावा है कि उसके पास 110 सदस्यों का संख्या बल है। इसके अतिरिक्त सात निर्दलीय, छोटी पार्टियों के पांच तथा मनोनीत सदस्यों की संख्या 10 है।