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This Article is From May 10, 2020

फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की वापसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल आमने सामने

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों से उनके घर पहुंचाने की इजाजत नहीं दी रही है.

फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की वापसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल आमने सामने
प्रतीकात्मक तस्वीर
कोलकाता/नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को ट्रेनों से उनके घर पहुंचाने की इजाजत नहीं दी रही है. हालांकि राज्य सरकार ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि 6,000 प्रवासी पहले ही लौट चुके हैं तथा और अधिक मजदूरों को लेकर 10 ट्रेनें जल्द ही पहुंचेंगी. इस बीच, रेलवे ने शनिवार रात कहा कि लॉकडाउन के चलते (देश के विभिन्न हिस्सों में) फंसे लोगों को पश्चिम बंगाल पहुंचाने को लेकर आठ विशेष ट्रेनें चलाने के लिये राज्य सरकार से ‘मंजूरी' प्राप्त हो गई है. इस विषय पर राज्य और केंद्र के बीच पूरे दिन चले आरोप-प्रत्यारोप के बाद यह बयान आया. शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर आने वाली ट्रेनों को राज्य में प्रवेश की इजाजत नहीं दे रही है और उन्होंने इसे प्रवासी श्रमिकों के साथ 'अन्याय' करार दिया. इस घटनाक्रम से केंद्र-राज्य (पश्चिम बंगाल) के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है. 

हालांकि, राज्य सरकार ने इस आरोप को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 6,000 फंसे हुए प्रवासी मजदूर पहले ही वापस आ चुके हैं और राज्य ने ऐसे और श्रमिकों को लाने के लिये 10 ट्रेनों को हरी झंडी दी है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कर्नाटक से तीन, पंजाब और तमिलनाडु से दो-दो और तेलंगाना से एक ट्रेन फंसे हुए लोगों को लेकर अगले कुछ दिन में पश्चिम बंगाल पहुंचेगी. हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि शनिवार को बंगाल से एक भी श्रमिक विशेष ट्रेन रवाना नहीं हुई, जबकि राज्य ने इसके उलट दावा किया है. रेल मंत्रालय ने कहा, ‘शनिवार सुबह तक पश्चिम बंगाल के लिये हमने सिर्फ दो श्रमिक विशेष ट्रेनों की मंजूरी प्राप्त की, एक अजमेर शरीफ से और दूसरा एर्णाकुलम से.' 

मंत्रालय ने रात आठ बजकर 47 मिनट पर ट्वीट में कहा, ‘‘गृह मंत्री के अनुरोध के बाद दोपहर में पश्चिम बंगाल ने पंजाब से दो, तमिलनाडु से दो, कर्नाटक से तीन और तेलंगाना से एक ट्रेन को मंजूरी प्रदान की.'' बंगाल ने महाराष्ट्र से किसी ट्रेन को मंजूरी नहीं दी है. वहीं, रेलवे के आंकड़ों से यह प्रदर्शित होता है कि बंगाल ने अब तक सिर्फ दो ‘श्रमिक विशेष ' ट्रेनें ही स्वीकार की हैं, जबकि विभिन्न राज्यों के लिये ऐसी 302 ट्रेनें अब तक चलाई गई हैं. प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर चल रही तकरार ने राज्य में कोविड-19 संकट को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच राजनीतिक घमासान को और अधिक बढ़ा दिया है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने शाह पर आरोप लगाया कि वह झूठ फैला रहे हैं. उन्होंने शाह को अपने आरोप साबित करने या माफी मांगने को भी कहा. इस पर, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य सरकार सिर्फ एक खास समुदाय के लोगों को वापस लाने की व्यवस्था कर रही है. 

देश के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग गंतव्यों तक प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘श्रमिक विशेष' ट्रेनों का संदर्भ देते हुए, गृह मंत्री ने पत्र में कहा कि केंद्र ने दो लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने की सुविधा प्रदान की है. लेकिन केंद्र को ट्रेन सेवाएं परिचालित करने के लिये राज्य सरकार से उम्मीद के मुताबिक सहयोग नहीं मिल रहा. शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिक भी घर पहुंचने के लिए बेचैन हैं और केंद्र सरकार ट्रेन सेवाओं की सुविधा भी दे रही है. शाह ने लिखा, “लेकिन हमें पश्चिम बंगाल से उम्मीद के मुताबिक सहयोग नहीं मिल रहा है. पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार ट्रेनों को पश्चिम बंगाल पहुंचने की अनुमति नहीं दे रही है. यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है. यह उनके लिए और दिक्कतें खड़ी करेगा.” 

बाद में शाम में, पश्चिम बंगाल के गृह सचिव अल्पन बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘अभी तक, हम अन्य राज्यों में फंसे 6,000 लोगों को वापस लाये हैं. प्रवासी मजदूरों को लेकर 10 ट्रेनें रविवार को पश्चिम बंगाल पहुंचेंगी.'' बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हमने अन्य राज्यों में फंसे हुए तीर्थयात्रियों को लाने के लिये भी विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की है. हमने फंसे हुए सभी लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिये हर कोशिश की है.'' तृणमूल कांग्रेस ने अपनी योजना के मुताबिक आठ ट्रेनों का एक कार्यक्रम भी जारी किया, जिनमें चार शनिवार को (बेंगलुरु से तीन और हैदराबाद से एक ट्रेन) चलेंगी. लेकिन रेलवे ने इस बात से इनकार किया कि ऐसी ट्रेनों की कोई योजना है. बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हमनें अन्य देशों में फंसे लोगों को भी विशेष विमानों से वापस लाने के लिये कदम उठाये हैं और केंद्र सरकार से इस बारे में बात की है.'' 

रेल अधिकारियों ने बताया कि शनिवार से 47 ट्रेनें चलाने की योजना है, लेकिन उनमें से कोई भी पश्चिम बंगाल के लिये नहीं है. राजस्थान के अजमेर से और केरल के एर्णाकुलम से एक-एक ट्रेन करीब 2500 फंसे हुए लोगों एवं प्रवासी मजदूरों को क्रमश: मंगलवार और बुधवार को बंगाल को लाई. इस बीच, बंदोपाध्याय के दावे का समर्थन करते हुए तृणमूल कांग्रेस आईटी प्रकोष्ठ ने मुख्य सचिव राजीव सिन्हा और अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा राजस्थान, कर्नाटक और केरल को लिखे गये तीन पत्र जारी किये. लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य के बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के सिलसिले में हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘इस संकट के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे गृह मंत्री हफ्तों तक चुप्पी साधे रखने के बाद झूठ का पुलिंदा के साथ लोगों को सिर्फ गुमराह करने के लिए बोल रहे हैं. विडम्बना यह है कि वह ऐसे लोगों के बारे में बात कर रहे है जिन्हें सरकार ने उनकी किस्मत के सहारे छोड़ दिया. श्री अमित शाह अपने झूठे आरोप साबित करें या माफी मांगें.'' 

तृणमूल कांग्रेस सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को निशाना बना रही है क्योंकि ‘‘वह उन्हें (ममता) को सहन नहीं कर सकती है.'' भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि अभी तक सिर्फ दो ट्रेनें ही बंगाल पहुंची हैं और वह भी एक खास समुदाय के लिये. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने 1300 करोड़ रुपये स्थानीय क्लबों के लिये खर्च किये हैं लेकिन सिर्फ 200 करोड़ रुपये कोरोनावायरस संकट के लिये दिये हैं, जिनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल प्रचार पर किया गया. सिन्हा ने आरोप लगाया, ‘‘अजमेर शरीफ (राजस्थान) और केरल से एक खास समुदाय के लिये दो विशेष ट्रेनें बंगाल पहुंची हैं. सरकार सिर्फ एक खास समुदाय के लोगों की समस्या को लेकर परेशान है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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