इसी साल की शुरुआत में 5 जनवरी को लाठी-डंडों से लैस नकाबपोशों की भीड़ द्वारा किए गए हमले में 34 विद्यार्थियों और शिक्षकों के ज़ख्मी हो जाने के समय कैम्पस के मेन गेट का CCTV फुटेज मांगने वाली RTI अर्ज़ियों के दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) द्वारा दिए गए जवाब एक दूसरे से कतई उलट हैं. इन जवाबों से 5 जनवरी और उसके बाद के 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ, उसकी वास्तविकता को लेकर सवाल गहरा गए हैं.
RTI कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा 17 जनवरी को दी गई अर्ज़ी के जवाब में JNU अधिकारियों ने दावा किया कि 5 जनवरी को दोपहर 3 बजे से आधी रात तक कैम्पस के नॉर्थ गेट का CCTV फुटेज उपलब्ध नहीं है, क्योंकि 'JNU में हुई हालिया घटनाओं की जांच कर रही एजेंसियों के कब्ज़े में हैं...'
बहरहाल, RTI कार्यकर्ता सौरव दास द्वारा 9 जनवरी को फाइल की गई एक अन्य RTI के जवाब में JNU प्रशासन ने कहा, "नॉर्थ तथा मेन गेट पर लगे कैमरों का 'अनवरत तथा सम्पूर्ण' CCTV फुटेज - हमले वाले दिन दोपहर 3 बजे से रात 11 बजे तक का - उपलब्ध नहीं है..."
सौरव दास की अर्ज़ी में पूछा गया था, "नॉर्थ / मेन गेट सर्वर रूम पर तोड़फोड़ की कोई घटना वहां लगे CCTV कैमरों पर रिकॉर्ड की गई या नहीं... 30 दिसंबर, 2019 से 8 जनवरी, 2020 तक उन्हें रिकॉर्ड किया गया..." इसके जवाब में कहा गया, "नहीं..."
इन दोनों जवाबों से पैदा होने वाले कन्फ्यूज़न को दिल्ली पुलिस ने उन दावों ने भी बढ़ा दिया, जब उन्होंने पहले दावा किया था कि हमलावरों को पहचान पाने के लिए कोई CCTV फुटेज उपलब्ध नहीं है. पुलिस ने इसके लिए यूनिवर्सिटी के सर्वर रूम पर हुए हमले को ज़िम्मेदार बताया था.
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