जयंती नटराजन की बगावत ने जैसे मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ दिया है। अब यह बात सामने आ रही है कि पर्यावरण मंजूरी के कुछ मामलों में उनसे सीबीआई पूछताछ कर सकती है।
नटराजन ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि राहुल और सोनिया के इशारे पर पर्यावरण मंजूरी के मामले रोके जाते थे और इसमें उनका अपना कोई हाथ नहीं है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की मंज़ूरी में अपने ऊपर लग रहे आरोपों की सीबीआई जांच के लिए भी वह तैयार हैं। उन्होंने कहा, 'मैं सीबीआई की जांच के लिए तैयार हूं, जयंती टैक्स क्या है जांच के बाद पता चल जाएगा'
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पर्यावरण मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने कुंडलिनी स्टील को फायदा पहुंचाया। साल 2007 से 2013 के बीच उसे सरंडा के जंगलों में 512 एकड़ ज़मीन पर मंज़ूरी दी गई, जबकि यह क्षेत्र जंगली हाथियों के लिए संरक्षित है। यही नहीं, 2013 में अंकुआ के जंगलों में जेएसडब्ल्यू स्टील को खनन के लिए जंगल की ज़मीन मुहैया कराने में गड़बड़ी के आरोप की सीबीआई जांच चल रही है। इन मामलों में बीते साल अक्तूबर में प्राथमिक जांच दर्ज की गई है।
बताया जा रहा है कि इस सिलसिले में सीबीआई जयंती नटराजन से पूछताछ करने वाली है। बीजेपी भी लगातार जांच की बात कर रही है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'जिसका पहले सिर्फ कयास लगाया जाता था वह अब सच बन गया है। प्रधानमंत्री और सरकार कैसे काम कर रहे थे यह सब के सामने आ गया है।'
जयंती नटराजन का ताज़ा रुख और सीबीआई का अतीत देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं है कि अगर ये जांच हुई तो इसकी आंच फिलहाल सोनिया-राहुल तक भी जा सकती है।
दरअसल यह सारे वे प्रोजेक्ट्स हैं, जिनकी मुखालफत जयराम रमेश ने की थी। अब देखना होगा सीबीआई किन-किन नेताओं से पूछताछ करती है।
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