प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
सरकार देश की कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाने की बात कह रही है, लेकिन यह काम आसान नहीं है. वित्तीय मामलों की संसद की स्थायी समिति ने आज नोटबंदी पर बैठक की और महसूस किया कि इसके लिए आईटी नेटवर्क को और मजबूत करने की जरूरत है.
सरकार सिर्फ तीन फीसदी की कैशलेस अर्थव्यवस्था से सीधे 100 फीसदी कैशलेस की छलांग लगाने की बात कर रही है.
क्या हम इसके लिए तैयार हैं? सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने नोटबंदी की चुनौतियों पर विचार किया.
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में चेयरमैन वीरप्पा मोइली के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे भी मौजूद रहे. आईटी नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस की गई. जनवरी के दूसरे हफ्ते में आईटी विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला हुआ. 18 जनवरी को आरबीआई के गवर्नर को संसदीय समिति के सामने पेश होने को कहा गया है. उनसे नोटबंदी के फैसले के पीछे का उनका तर्क जाना जाएगा.
समिति इस बात की पड़ताल करना चाहती है कि नोटबंदी की वजह से काले धन की समस्या से निपटने में सरकार को कितनी सफलता मिल पाई है. गुरुवार की बैठक में यह बात भी कही गई कि भारत में दूसरे देशों के मुकाबले जीडीपी और कैश का अनुपात काफी ज्यादा है जिसे घटाने की जरूरत है.
संसद की स्थायी समिति की बैठक में इस बात पर विशेष तौर पर चर्चा हुई कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कैश से कैशलेस की तरफ ले जाने के रास्ते में एक बड़ी अड़चन मौजूदा आईटी नेटवर्क को लेकर है. जब बरसों की मशक्कत के बाद दस फीसदी से भी कम अर्थव्यवस्था कैशलेस हो पाई है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस राह पर आगे बढ़ना कितना मुश्किल होगा.
सरकार सिर्फ तीन फीसदी की कैशलेस अर्थव्यवस्था से सीधे 100 फीसदी कैशलेस की छलांग लगाने की बात कर रही है.
क्या हम इसके लिए तैयार हैं? सांसद वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने नोटबंदी की चुनौतियों पर विचार किया.
एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में चेयरमैन वीरप्पा मोइली के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे भी मौजूद रहे. आईटी नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत सबसे ज्यादा महसूस की गई. जनवरी के दूसरे हफ्ते में आईटी विशेषज्ञों को बुलाने का फैसला हुआ. 18 जनवरी को आरबीआई के गवर्नर को संसदीय समिति के सामने पेश होने को कहा गया है. उनसे नोटबंदी के फैसले के पीछे का उनका तर्क जाना जाएगा.
समिति इस बात की पड़ताल करना चाहती है कि नोटबंदी की वजह से काले धन की समस्या से निपटने में सरकार को कितनी सफलता मिल पाई है. गुरुवार की बैठक में यह बात भी कही गई कि भारत में दूसरे देशों के मुकाबले जीडीपी और कैश का अनुपात काफी ज्यादा है जिसे घटाने की जरूरत है.
संसद की स्थायी समिति की बैठक में इस बात पर विशेष तौर पर चर्चा हुई कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कैश से कैशलेस की तरफ ले जाने के रास्ते में एक बड़ी अड़चन मौजूदा आईटी नेटवर्क को लेकर है. जब बरसों की मशक्कत के बाद दस फीसदी से भी कम अर्थव्यवस्था कैशलेस हो पाई है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस राह पर आगे बढ़ना कितना मुश्किल होगा.
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