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This Article is From Sep 06, 2011

अमर सिंह और दो पूर्व सांसद भेजे गए तिहाड़

New Delhi: राज्यसभा सदस्य और समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता अमर सिंह वर्ष 2008 के 'वोट के लिए नोट' मामले में कथित संलिप्तता पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो पूर्व सांसदों की गिरफ्तारी के बाद तिहाड़ जेल जाने वाले ऊंची रसूख वाले राजनीतिज्ञ हो गए हैं। जुलाई 2008 में विश्वास प्रस्ताव से पहले सांसदों को रिश्वत देने की कोशिश में कथित संलिप्तता पर इन्हें मंगलवार को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आपराधिक साजिश) की धारा-120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-12 के तहत कार्रवाई की गई है। विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने अमर सिंह के अलावा फगन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा को 19 सितम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वर्तमान सांसद अशोक अर्गल को गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुलिस ने अर्गल की गिरफ्तारी के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति मांगी है। ज्ञात हो कि 22 जुलाई, 2008 को तीन भाजपा सांसदों ने लोकसभा में विश्वास मत के दौरान नोटों की गड्डियां लहराई थीं। इन सांसदों का आरोप था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उन्हें यह पैसा दिया गया है। फैसला सुनाए जाने पर कुर्ता-पायजामा पहने अमर सिंह अचम्भित दिखे। अदालत ने पुलिस को जब उन्हें हिरासत में लेने का निर्देश दिया तो इस पर अमर सिंह ने दलील दी, "मैं अदालत के आदेश की अवमानना नहीं कर रहा हूं। लेकिन अदालत से मैं यह कहना चाहूंगा कि वह मेरे स्वास्थ्य की हालत के बारे में किसी से भी पूछ ले।" उन्होंने कहा, "आप, कृपया किसी की भी सलाह ले लें, एक व्यक्ति जिसने अपने गुर्दे का प्रत्यारोपण कराया है क्या वह न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के लिए उपयुक्त है अथवा उसे जोखिम वाले ऐसे स्थान पर रहने के लिए बाध्य किया जा सकता है।" सिंह की दलीलों पर न्यायाधीश ने कहा, "आदेश पहले ही पारित किया जा चुका है। हम मामले की अगली सुनवाई के समय इस पर विचार करेंगे।" इसके बाद पुलिसकर्मी उन्हें पश्चिमी दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल ले गए। इस जेल में पहले से ही पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा, राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाडी और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की सांसद कनिमोझी बंद हैं। पुलिस ने कहा, "अमर सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा-12 और भारतीय दंड संहिता की धारा-120 के तहत अपराध किया है। इन दोनों अपराधों के लिए उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किए जा रहे हैं।" न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अंतरिम जमानत का आधार नियमति जमानत के आधार के जैसा ही होता है। दिल्ली पुलिस ने 24 अगस्त को अमर सिंह सहित छह लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। अन्य पांच लोगों में कुलकर्णी, भाजपा के मौजूदा सांसद अशोक अर्गल और पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके मध्यस्थ सुहैल हिंदुस्तानी के नाम शामिल हैं। मामले में सीएनएन-आईबीएन के प्रमुख राजदीप सरदेसाई सहित 54 लोगो को गवाह बनाया गया है। इसके बाद सहगल ने 25 अगस्त को अमर, कुलस्ते, भगोरा तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को सम्मन जारी किया था। इन सभी को मंगलवार को अदालत में उपस्थित होना था। आरोप पत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं कि 22 जुलाई, 2008 की सुबह अमर सिंह ने अपने सचिव संजीव सक्सेना के साथ अवैध रूप से एक करोड़ रुपये देने का आपराधिक षड्यंत्र रचा था। पुलिस ने आरोप लगाया है कि अमर सिंह ने सक्सेना और अन्य के साथ मिलकर तत्कालीन सांसदों को रिश्वत देने की 'साजिश' रची और कुलकर्णी ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान 'सक्रिय भूमिका' निभाई। बहस के दौरान कुलकर्णी के वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल अमेरिका में है। वकील ने कुलकर्णी को अदालत के समक्ष पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। जबकि न्यायालय ने कहा कि कुलकर्णी को 19 सितम्बर को पेश होने की जरूरत है।

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