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This Article is From Aug 27, 2019

वित्त मंत्री ने RBI से मिले सरप्लस फंड को लेकर उठे सवालों को बताया बेबुनियाद, पैसे के इस्तेमाल को लेकर कही यह बात

अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार को करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये देने के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के फ़ैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने मंगलवार को पहली प्रतिक्रिया दी.

वित्त मंत्री ने RBI से मिले सरप्लस फंड को लेकर उठे सवालों को बताया बेबुनियाद, पैसे के इस्तेमाल को लेकर कही यह बात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण.
नई दिल्ली:

अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार को करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये देने के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के फ़ैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने मंगलवार को पहली प्रतिक्रिया दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मिले फंड को कैसे खर्च किया जाएगा, इसका निर्णय अभी नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा कि RBI से मिले फंड्स का उपयोग कैसे होगा इस विषय पर अभी कुछ बोल नहीं सकती हूं. हम निर्णय लेंगे उसके बाद आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी. इसके अलावा वित्त मंत्री ने बिमल जलान समिति पर उठ रहे सवालों को भी बेबुनियाद करार दिया. उन्होंने कहा कि बिमल जलान समिति में जाने-माने विशेषज्ञ थे. समिति आरबीआई ने ही नियुक्ति की थी.

इसके अलावा निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने राहुल गांधी पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि राहुल के आरोपों की अब परवाह नहीं है. वो चोर-चोर बोलने में माहिर हैं. उधर, आरबीआई के इस क़दम पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज़ हो गई है. विपक्षी दल रिज़र्व बैंक के सरकारी ख़जाने के लिए पैसे देने पर सवाल उठा रहे हैं. 

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बता दें कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पूर्व अध्यक्ष बिमल जालान की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मानते हुए सोमवार को अपने सरप्लस तथा रिज़र्व भंडार में से 1.76 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को दिए जाने को मंज़ूरी दे दी. इस रिकॉर्ड ट्रांसफर, जिसमें वर्ष 2018-19 के लिए 1.23 लाख करोड़ रुपये का सरप्लस शामिल है, से सरकार की वित्तीय स्थिति ऐसे समय में मज़बूत हो पाएगी, जब वह लगभग पांच साल में सबसे कम आर्थिक वृद्धि का सामना कर रही है और लगभग हर क्षेत्र में लाखों नौकरियां खत्म हो जाने की आशंका सिर पर झूल रही है.

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इसके अलावा, इस भुगतान की मदद से सरकार वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.3 फीसदी तक सीमित रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी पूरा कर पाएगी. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस भुगतान से सरकार को कर राजस्व में कमी से निपटने में भी मदद मिलेगी, और वह अपने बढ़े खर्चों के लिए भी राशि जुटा पाएगी.

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उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और वित्त मंत्री को खुद से पैदा किए गए आर्थिक संकट का समाधान नहीं सूझ रहा है. इसको लेकर उन्होंने ट्वीट किया, 'प्रधानमंत्री तथा वित्तमंत्री खुद के पैदा किए हुए आर्थिक संकट को हल करने के बारे में कुछ समझ नहीं पा रहे हैं... RBI से चोरी करना काम नहीं आएगा - यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे गोली लगने से हुए घाव पर लगाने के लिए डिस्पेंसरी से बैंड-एड चुराई जाए..

वहीं, कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि देश में आर्थिक इमरजेंसी जैसे हालात बने हुए हैं. मोदी सरकार देश को कंगाली की ओर धकेल रही है. कांग्रेस ने दावा किया कि ये अर्थव्यवस्था में गहरे संकट का प्रतीक है. RBI ने दबाव में लिया है ये फ़ैसला. कांग्रेस ने कहा कैश रिज़र्व देने का फ़ैसला ग़लत है. पार्टी के नेता आनंद शर्मा ने कहा, सरकार घाटे में है, बजट गलत बना दिया. गरीबों को जो देना था वो दिया नहीं गया है...हालत बहुत बुरी है, इसलिए आरबीआई का पैसा सरकार छीन रही है और देश को इकॉनामिक इमरजैंसी की तरफ ढकेला जा रहा है".

उधर रिज़र्व बैंक के पूर्व निदेशक विपिन मलिक ने NDTV से कहा कि सरकार को इस फ़ंड का इस्तेमाल अपने घाटे की भरपाई के लिए नहीं बल्कि पूंजी निवेश के लिए करना चाहिए.  

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