
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने गुजरात सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए लागू की गई योजनाओं में विभिन्न खामियों को पता किया है और कहा है कि प्रदेश ने इस क्षेत्र में वर्ष 2012-13 में नकारात्मक वृद्धि रही है। मंगलवार को विधानसभा में सदन के पटल पर पेश किए गए कृषि क्षेत्र पर अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि यद्यपि गुजरात ने कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत विकास दर के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन वर्ष 2012-13 के दौरान इसमें नकारात्मक वृद्धि हुई है।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनावधि (वर्ष 2007-12) के दौरान गुजरात की औसत कृषि वृद्धि दर 5.49 प्रतिशत थी, जबकि भारत की औसत कृषि वृद्धि दर 4.06 प्रतिशत थी। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010-11 के 21.64 प्रतिशत और वर्ष 2011-12 के 5.02 प्रतिशत की वृद्धि दर के मुकाबले गुजरात ने वर्ष 2012-13 के दौरान नकारात्मक 6.96 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है।
वर्ष 2012-13, 12वीं पंचवर्षीय योजनावधि का पहला वर्ष है। गुजरात में लागू किए गए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के प्रदर्शन रिपोर्ट का ऑडिट करते हुए सीएजी ने विभिन्न कमियों का पता लगाया है।
सीएजी ने कहा कि गुजरात सरकार ने वर्ष 2008 से वर्ष 2012 के बीच किसानों को गुणवत्ता युक्त बीजों को प्रदान करने की परियोजना पर 3.5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। उसके बाद भी प्रदेश सरकार का बीज उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में भारी अंतर रह गया है। सीएजी ने कहा, ‘‘गुणवत्ता युक्त मूंगफली, गेहूं और बाजरा बीज के 19,000 क्विंटल के लक्ष्य के मुकाबले वास्तविक उत्पादन केवल 5,524 क्विंटल ही था और इतनी ही मात्रा किसानों को बेची गई। इस प्रकार 3.54 करोड़ रुपये के परिव्यय को देखते हुए बीज उत्पादन केवल 29.07 प्रतिशत ही रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएजी ने किसानों के बीच इन बीजों के वितरण के बाद परिणाम का कोई आकलन नहीं करने के लिए प्रदेश सरकार की आलोचना भी की है। रिपोर्ट में कहा गया है, "किसानों को गुणवत्ता युक्त बीजों का वितरण करने के बाद बढ़े हुए उत्पादन की मात्रा को सुनिश्चित करने के लिए कोई आकलन नहीं किया गया।" पशुपालन क्षेत्र के बारे में अपने दृष्टिकोण में सीएजी ने सरकार द्वारा लक्ष्य को हासिल करने के दावों का आकलन करने के लिए कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं होने के प्रति अपना असंतोष जताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में लक्ष्य व्यापक तौर पर हासिल नहीं किया जा सका है।