नई दिल्ली:
सीएजी की एक रिपोर्ट में एक और बड़े घोटाले का ख़ुलासा हुआ है। यह घोटाला देश में वनभूमि के गलत इस्तेमाल का है।
सीएजी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर उद्योगों के लिए वन भूमि दी गई और तय नियमों का उल्लंघन किया गया।
इस मामले को लेकर संसद में रखी गई सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों को दी गई भूमि के बदले पेड़ लगाने के लिए फंड इकट्ठा किया जाना था ताकि जितने वन क्षेत्र को उद्योगों के लिए दिया गया उतनी ज़मीन पर देश में और जगह पर पेड़ लगाए जाएं। सरकार की ओर से गठित प्राधिकरण ’कैंपा’ को इस प्रक्रिया की निगरानी और फंड की देखभाल करना था।
सीएजी का कहना है कि पेड़ लगाने के लिए इस फंड में घोटाला हुआ है। दिसंबर 2012 तक 23 हजार करोड़ से अधिक फंड इकट्ठा किया गया। अधिकारियों ने फंड से पेड़ लगाने की बजाय पैसा बैंकों में रखकर ब्याज पर लगा दिया। 1000 से अधिक प्रोजेक्ट्स ने नियमों की अनदेखी की और इसके बावजूद उनके लाइसेंस कैंसिल नहीं हुए हैं।
सीएजी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर उद्योगों के लिए वन भूमि दी गई और तय नियमों का उल्लंघन किया गया।
इस मामले को लेकर संसद में रखी गई सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योगों को दी गई भूमि के बदले पेड़ लगाने के लिए फंड इकट्ठा किया जाना था ताकि जितने वन क्षेत्र को उद्योगों के लिए दिया गया उतनी ज़मीन पर देश में और जगह पर पेड़ लगाए जाएं। सरकार की ओर से गठित प्राधिकरण ’कैंपा’ को इस प्रक्रिया की निगरानी और फंड की देखभाल करना था।
सीएजी का कहना है कि पेड़ लगाने के लिए इस फंड में घोटाला हुआ है। दिसंबर 2012 तक 23 हजार करोड़ से अधिक फंड इकट्ठा किया गया। अधिकारियों ने फंड से पेड़ लगाने की बजाय पैसा बैंकों में रखकर ब्याज पर लगा दिया। 1000 से अधिक प्रोजेक्ट्स ने नियमों की अनदेखी की और इसके बावजूद उनके लाइसेंस कैंसिल नहीं हुए हैं।
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