नई दिल्ली:
केंद्र की राजनीति गर्म है। ऐसे में केंद्र में मंत्रिमंडल में भी फेरबदल की खबरें आ रही हैं। बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल की रूपरेखा तैयार हो चली है। संगठन में बदलाव की भी तैयारी है। राहुल गांधी कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे। यह बात अब स्पष्ट हो चली है।
केंद्र सरकार के चार सबसे बड़े मंत्रियों में किसी एक को जाना होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को नहीं बदला जाएगा। तेलंगाना तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार भी बने रहेंगे।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी मंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। लेकिन मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल में जल्द ही बड़ा फेरबदल होने जा रहा है।
सबसे बड़ी ख़बर यह है कि मनमोहन सिंह सरकार के जो चार सबसे बड़े मंत्री हैं, उनमें कोई एक जाएगा यानी गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, वित्तमंत्री पी चिदंबरम, रक्षामंत्री एके एंटनी और विदेश मंत्री एसएम कृष्णा में से किसी एक की कुर्सी जाएगी।
दूसरी बड़ी और पक्की ख़बर यह है कि कर्नाटक से के रहमान ख़ान को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वह अब तक राज्यसभा में उपसभापति थे। तीसरी पक्की ख़बर यह है कि पश्चिम बंगाल से एक मंत्री सरकार में आएगा। चाहे वह अधीर चौधरी हो या फिर दीपादास मुंशी।
चौथी पक्की ख़बर के अनुसार संसदीय कार्य राज्य मंत्री हरीश रावत और सांख्यिकी और क्रियान्वयन राज्यमंत्री श्रीकांत जेना की तरक्की होगी। पांचवीं ख़बर यह है कि आंध्र प्रदेश के मशहूर ऐक्टर और नेता चिरंजीवी मंत्री बनाए जाएंगे।
गौरतलब है कि केंद्र में तमाम मंत्री पद खाली पड़े हैं और तृणमूल नेताओं के भी मंत्री पद छोड़ने के मद्देनजर और भी कई पद खाली होने की संभावना है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद एक जगह ख़ाली हुई है। विलासराव देशमुख के निधन के बाद उनकी जगह भी ख़ाली है। ए राजा को संचार मंत्रालय से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। दयानिधि मारन भी कपड़ा मंत्रालय छोड़ उन्हीं की राह पर गए। वीरभद्र सिंह लघु उद्योग मंत्रालय छोड़कर राज्य में जा चुके हैं।
इसके अलावा सरकार के कम से कम आठ मंत्री ऐसे हैं जिनके पास एक से ज्यादा ओहदे हैं। कपिल सिब्बल मानव संसाधन और दूरसंचार दोनों मंत्रालय देख रहे हैं। सलमान ख़ुर्शीद अल्पसंख्यक मामलों के भी मंत्री हैं और कानून मंत्री भी। पवन कुमार बंसल संसदीय कार्यमंत्री भी हैं और जल संसाधन मंत्री भी। वीरप्पा मोइली के पास बिजली और कारपोरेट मामलों के मंत्रालय हैं। आनंद शर्मा के पास वाणिज्य और उद्योग के अलावा कपड़ा मंत्रालय भी है। कुमारी शैलजा के पास दो मंत्रालय हैं, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन और संस्कृति मंत्रालय। जबकि वायलर रवि के पास तीन मंत्रालय हैं। इनमें सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग, विज्ञान−प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान और विदेशों के भारतीय मामले शामिल हैं।
इनके अलावा कई ऐसे मंत्री हैं जिनके कामकाज को लेकर विवाद रहा है। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा बयानबाज़ी की कई चूकें कर चुके हैं। पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय हाल में कोयला आवंटन विवाद में घिरे हैं। इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के गैरज़िम्मेदार बयानों से भी पार्टी और सरकार खुश नहीं हैं।
जाहिर है कैबिनेट में फेरबदल की गुंजाइश काफी है। लेकिन, सवाल है वह कौन से लोग हो सकते हैं जो इनकी जगह लेंगे और उनके चुनाव का पैमाना क्या होगा। एक बात साफ़ है, कांग्रेस आने वाले कल की राजनीति देखते हुए नए चेहरों को जगह देगी।
केंद्र सरकार के चार सबसे बड़े मंत्रियों में किसी एक को जाना होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को नहीं बदला जाएगा। तेलंगाना तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार भी बने रहेंगे।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी मंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। लेकिन मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल में जल्द ही बड़ा फेरबदल होने जा रहा है।
सबसे बड़ी ख़बर यह है कि मनमोहन सिंह सरकार के जो चार सबसे बड़े मंत्री हैं, उनमें कोई एक जाएगा यानी गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, वित्तमंत्री पी चिदंबरम, रक्षामंत्री एके एंटनी और विदेश मंत्री एसएम कृष्णा में से किसी एक की कुर्सी जाएगी।
दूसरी बड़ी और पक्की ख़बर यह है कि कर्नाटक से के रहमान ख़ान को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वह अब तक राज्यसभा में उपसभापति थे। तीसरी पक्की ख़बर यह है कि पश्चिम बंगाल से एक मंत्री सरकार में आएगा। चाहे वह अधीर चौधरी हो या फिर दीपादास मुंशी।
चौथी पक्की ख़बर के अनुसार संसदीय कार्य राज्य मंत्री हरीश रावत और सांख्यिकी और क्रियान्वयन राज्यमंत्री श्रीकांत जेना की तरक्की होगी। पांचवीं ख़बर यह है कि आंध्र प्रदेश के मशहूर ऐक्टर और नेता चिरंजीवी मंत्री बनाए जाएंगे।
गौरतलब है कि केंद्र में तमाम मंत्री पद खाली पड़े हैं और तृणमूल नेताओं के भी मंत्री पद छोड़ने के मद्देनजर और भी कई पद खाली होने की संभावना है। प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद एक जगह ख़ाली हुई है। विलासराव देशमुख के निधन के बाद उनकी जगह भी ख़ाली है। ए राजा को संचार मंत्रालय से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। दयानिधि मारन भी कपड़ा मंत्रालय छोड़ उन्हीं की राह पर गए। वीरभद्र सिंह लघु उद्योग मंत्रालय छोड़कर राज्य में जा चुके हैं।
इसके अलावा सरकार के कम से कम आठ मंत्री ऐसे हैं जिनके पास एक से ज्यादा ओहदे हैं। कपिल सिब्बल मानव संसाधन और दूरसंचार दोनों मंत्रालय देख रहे हैं। सलमान ख़ुर्शीद अल्पसंख्यक मामलों के भी मंत्री हैं और कानून मंत्री भी। पवन कुमार बंसल संसदीय कार्यमंत्री भी हैं और जल संसाधन मंत्री भी। वीरप्पा मोइली के पास बिजली और कारपोरेट मामलों के मंत्रालय हैं। आनंद शर्मा के पास वाणिज्य और उद्योग के अलावा कपड़ा मंत्रालय भी है। कुमारी शैलजा के पास दो मंत्रालय हैं, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन और संस्कृति मंत्रालय। जबकि वायलर रवि के पास तीन मंत्रालय हैं। इनमें सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग, विज्ञान−प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान और विदेशों के भारतीय मामले शामिल हैं।
इनके अलावा कई ऐसे मंत्री हैं जिनके कामकाज को लेकर विवाद रहा है। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा बयानबाज़ी की कई चूकें कर चुके हैं। पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहाय हाल में कोयला आवंटन विवाद में घिरे हैं। इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के गैरज़िम्मेदार बयानों से भी पार्टी और सरकार खुश नहीं हैं।
जाहिर है कैबिनेट में फेरबदल की गुंजाइश काफी है। लेकिन, सवाल है वह कौन से लोग हो सकते हैं जो इनकी जगह लेंगे और उनके चुनाव का पैमाना क्या होगा। एक बात साफ़ है, कांग्रेस आने वाले कल की राजनीति देखते हुए नए चेहरों को जगह देगी।
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