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This Article is From Dec 13, 2011

कैबिनेट ने 3 भ्रष्टाचार रोधी बिलों को मंजूरी दी

नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को तीन महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार निरोधी विधेयकों को मंजूरी प्रदान की। इनमें न्यायिक जवाबदेही, भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वालों के संरक्षण और नागरिक अधिकारों से जुड़े विधेयक हैं, जिन्हें अन्ना हजारे लोकपाल के दायरे में लाने की मांग करते आ रहे हैं। कैबिनेट ने न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक, 2010, जनहित उजागर करने वाले लोगों का संरक्षण विधेयक, 2010 (व्हिसलब्लोअर विधेयक) तथा सिटीजन चार्टर एवं शिकायत निवारण विधेयक, 2011 पर मुहर लगाई। हालांकि खाद्य सुरक्षा विधेयक पर विचार विमर्श अधूरा रहा और इसे संभवत: 18 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट की अगली बैठक में लिया जा सकता है। यह संप्रग अध्यक्ष और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की प्रमुख सोनिया गांधी का महत्वाकांक्षी विधेयक है। टीम अन्ना मांग कर रही है कि न्यायपालिका, सिटीजन चार्टर और शिकायत निवारण प्रणाली को लोकपाल के दायरे में लाया जाए। हालांकि सरकार और कुछ विपक्षी दलों का मानना है कि इन मुद्दों से निपटने के लिए अलग कानून होने चाहिए। न्यायिक जवाबदेही कानून न्यायपालिका में जवाबदेही तय करने के लिहाज से है। इसमें उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कदाचार की शिकायतों में जांच की प्रणाली के प्रावधान होंगे। इस विधेयक में न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की पड़ताल करने वाली समिति की बंद कमरे में कार्यवाही के प्रावधानों को जोड़ने के लिए एक समिति के गठन का भी प्रस्ताव है। हालांकि सूत्रों के अनुसार कैबिनेट में कुछ मंत्रियों ने एक प्रावधान को वापस लेने पर जोर दिया जिसमें न्यायाधीशों के लिए उसी अदालत में वकालत करने वाले वकीलों से बातचीत और करीबी रिश्ते रखने पर पाबंदी की बात है। कार्मिक और कानून एवं न्याय पर संसद की स्थाई समिति ने इस प्रावधान को भी शामिल करने की सिफारिश की थी कि न्यायाधीशों द्वारा अन्य संवैधानिक संस्थाओं या लोगों के खिलाफ अदालतों में सुनवाई के दौरान अनुचित टिप्पाणियां करने पर रोक लगे। हालांकि सरकार ने शुरू में इसे मंजूर किया था और कैबिनेट नोट में भी इसका जिक्र था लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि आज बैठक में पारित विधेयक में इसका जिक्र है या नहीं। सूत्रों के अनुसार सिटीजन चार्टर और शिकायत निवारण प्रणाली विधेयक के संदर्भ में कैबिनेट में सरकारी अधिकारियों को सेवाओं के लिए समयसीमा देने को लेकर मतभेद थे। कुछ मंत्रियों का कहना था कि 15 दिन की अवधि बहुत कम है। बाद में इसे 30 दिन कर दिया गया। कैबिनेट ने व्हिसलब्लोअर विधेयक पर भी मुहर लगाई जिसमें मंत्रिपरिषद, न्यायपालिका, नियामक प्राधिकरणों और निगमों के सदस्यों को इसके दायरे में लाने की बात है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक को इसलिए टाला गया क्योंकि संप्रग के सहयोगी दलों की लोकपाल विषय पर बैठक होने के कारण समय नहीं बचा था जो कैबिनेट की बैठक के तत्काल बाद थी। खाद्य मंत्री के वी थामस ने बाद में संवाददाताओं से कहा, खाद्य सुरक्षा विधेयक पर बातचीत अधूरी रही। हम संसद के इसी सत्र में विधेयक को लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

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