यह ख़बर 26 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

जासूसी मामला : नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ जांच आयोग को मंजूरी

नई दिल्ली:

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह के कथित इशारे पर गुजरात में एक महिला की जासूसी के मामले की पड़ताल के लिए केन्द्र ने आज जांच आयोग नियुक्त करने का फैसला किया।

इस मामले पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने ट्वीट करके कहा है कि उनकी पार्टी इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देगी। जेटली ने लिखा है कि कैबिनेट ने कथित जासूसी मामले की जांच के लिए आयोग बनाया है। यह फैसला संदिग्ध है और हम इसे कोर्ट में चुनौती देंगे।

उधर, बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नरेंद्र मोदी पर जितने भी आरोप लगा ले, कोई भी जांच हो जाए, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

वहीं कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने जांच आयोग बनाने के फैसले का स्वागत किया है और कहा है यह फैसला पहले ही ले लिया जाना चाहिए था।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। यह फैसला जांच आयोग कानून की धारा 3 के तहत किया गया, जो केन्द्र को किसी आयोग के गठन का अधिकार देता है।

आयोग के गठन का प्रस्ताव गृह मंत्रालय का था, जिसमें सुझाव था कि आयोग का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का कोई सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो।

गुजरात सरकार ने हालांकि मामले की जांच के लिए एक आयोग का पहले ही गठन कर रखा है, लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला इन ताजा दावों के परिप्रेक्ष्य में आया है कि कथित जासूसी गुजरात राज्य की सीमाओं से बाहर का भी मामला है।

वेब पोर्टल गुलेल डॉट काम ने दावा किया था कि मोदी के कथित इशारे पर महिला की जासूसी केवल गुजरात ही नहीं, बल्कि कर्नाटक से भी जुड़ा मामला है।

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गुलेल ने एक अन्य पोर्टल कोबरा पोस्ट डॉट कॉम के साथ मिलकर सबसे पहले इस मामले का खुलासा किया था। आरोप था कि गुजरात पुलिस ने 2009 में बेंगलुरु में महिला के टेलीफोन को टैप करने के लिए कर्नाटक पुलिस से संपर्क किया था। महिला बेंगलुरु में रह रही थी और उस समय कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा थे।