नई दिल्ली:
सेना के अधिकारियों ने NDTV को बताया कि भारत और पाकिस्तान के टॉप सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत के बाद कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर पिछले 48 घंटों में कोई सीजफायर नहीं हुआ, लेकिन दो और घुसपैठ के प्रयासों के बाद से इसे संघर्ष की तीव्रता में कमी आने से जोड़ना काफी जल्दबाजी रहेगा.
अधिकारियों ने कहा कि वे इस संभावना से इंकार नहीं कर सकते कि पाकिस्तान डीजीएमओ स्तरीय वार्ता की आड़ में अपनी सीमावर्ती चौकियों पर पुन: आपूर्ति और गोला बारूद भरने के लिए एक 'सामरिक ठहराव' सुरक्षित करना चाहता है.
बुधवार के बाद से भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच नियंत्रण रेखाओं पर दोनों तरफ से एक दूसरे के सैनिकों और किलेबंदी को लक्षित करने के लिए मोर्टार, ऑटोमेटिक हथियार और कभी-कभी टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलों के जरिए तीव्र संघर्ष चला. हालांकि दो दिन से फायरिंग के बंद होने के बीच यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपनी बलों की जरूरतों को तुरंत पूरा करना चाहता है.
बुधवार शाम को लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह से 10-12 मिनट की बातचीत में पाकिस्तान के मेजर जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने पाक अधिकृत कश्मीर की नीलम घाटी में एक नागरिक बस पर भारतीय हमले को लेकर शिकायत की. इस्लामाबाद के अनुसार, इस बस को जान-बूझकर निशाना बनाया गया, जिसके चलते नौ लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए.
एनडीटीवी को पता चला है कि पाकिस्तानी सेना ने बेवजह इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही को मंजूरी दी थी, भले ही यह नियंत्रण रेखा पर स्थिति के कारण इसे निलंबित कर दिया गया था.
एनडीटीवी को यह भी पता चला है कि नीलम घाटी में एक वैकल्पिक रूट भी है, जोकि भारतीय गनर्स की सीमा से बाहर है, लेकिन बस द्वारा इस मार्ग का इस्तेमाल नहीं किया गया था.
मंगलवार को भारतीय सैनिक प्रभु सिंह के शव को क्षत-विक्षत किए जाने के बाद जब एलओसी पर सेना ने जवाबी कार्रवाई की शुरुआत की, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं थी बस पाकिस्तानी सैनिकों नहीं ले जा रही थी या उसे पाकिस्तानी चौकियों के लिए खाद्य आपूर्ति का स्टॉक ले जाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था.
यहां भी वरिष्ठ भारतीय सेना के अधिकारियों के बीच एक भावना है कि हो सकता है कि इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना माहौल भांपने में लगी हुई है. वे कोशिश कर सकते हैं कि नागरिक बसों या ट्रकों की आड़ में सैनिकों या उनके साजो-सामान को ढो सकें.
एनडीटीवी के पास उपलब्ध जानकारियां भी यह इशारा करती हैं कि बुधवार को हुई डीजीएमओ वार्ता घटनाओं का सही अनुक्रम है.
एलओसी पर फायरिंग के रूकने के दो घंटे बाद साढ़े छह बजे पाकिस्तानी सेना द्वारा डीजीएमओ के कार्यालयों के बीच हॉटलाइन सक्रिय हो गई थी.
अधिकारियों के एक ग्रुप के साथ भारत की तरफ से स्थायी रूप से फोन के साथ रहने वाले एक ड्यूटी ऑफिसर द्वारा पाकिस्तानियों से पूछा गया कि उनके डीजीएमओ क्या बात करना चाहते है. पाकिस्तान की तरफ से यह तो नहीं बताया गया, लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल सिंह और मेजर जनरल मिर्जा के बीच एक अनिर्धारित और तत्काल बातचीत का अनुरोध किया गया. भारतीय सेना बातचीत के लिए राजी हो गई, जोकि कुछ घंटों बाद हुई.
अधिकारियों ने कहा कि वे इस संभावना से इंकार नहीं कर सकते कि पाकिस्तान डीजीएमओ स्तरीय वार्ता की आड़ में अपनी सीमावर्ती चौकियों पर पुन: आपूर्ति और गोला बारूद भरने के लिए एक 'सामरिक ठहराव' सुरक्षित करना चाहता है.
बुधवार के बाद से भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच नियंत्रण रेखाओं पर दोनों तरफ से एक दूसरे के सैनिकों और किलेबंदी को लक्षित करने के लिए मोर्टार, ऑटोमेटिक हथियार और कभी-कभी टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलों के जरिए तीव्र संघर्ष चला. हालांकि दो दिन से फायरिंग के बंद होने के बीच यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपनी बलों की जरूरतों को तुरंत पूरा करना चाहता है.
बुधवार शाम को लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह से 10-12 मिनट की बातचीत में पाकिस्तान के मेजर जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने पाक अधिकृत कश्मीर की नीलम घाटी में एक नागरिक बस पर भारतीय हमले को लेकर शिकायत की. इस्लामाबाद के अनुसार, इस बस को जान-बूझकर निशाना बनाया गया, जिसके चलते नौ लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए.
एनडीटीवी को पता चला है कि पाकिस्तानी सेना ने बेवजह इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही को मंजूरी दी थी, भले ही यह नियंत्रण रेखा पर स्थिति के कारण इसे निलंबित कर दिया गया था.
एनडीटीवी को यह भी पता चला है कि नीलम घाटी में एक वैकल्पिक रूट भी है, जोकि भारतीय गनर्स की सीमा से बाहर है, लेकिन बस द्वारा इस मार्ग का इस्तेमाल नहीं किया गया था.
मंगलवार को भारतीय सैनिक प्रभु सिंह के शव को क्षत-विक्षत किए जाने के बाद जब एलओसी पर सेना ने जवाबी कार्रवाई की शुरुआत की, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं थी बस पाकिस्तानी सैनिकों नहीं ले जा रही थी या उसे पाकिस्तानी चौकियों के लिए खाद्य आपूर्ति का स्टॉक ले जाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था.
यहां भी वरिष्ठ भारतीय सेना के अधिकारियों के बीच एक भावना है कि हो सकता है कि इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना माहौल भांपने में लगी हुई है. वे कोशिश कर सकते हैं कि नागरिक बसों या ट्रकों की आड़ में सैनिकों या उनके साजो-सामान को ढो सकें.
एनडीटीवी के पास उपलब्ध जानकारियां भी यह इशारा करती हैं कि बुधवार को हुई डीजीएमओ वार्ता घटनाओं का सही अनुक्रम है.
एलओसी पर फायरिंग के रूकने के दो घंटे बाद साढ़े छह बजे पाकिस्तानी सेना द्वारा डीजीएमओ के कार्यालयों के बीच हॉटलाइन सक्रिय हो गई थी.
अधिकारियों के एक ग्रुप के साथ भारत की तरफ से स्थायी रूप से फोन के साथ रहने वाले एक ड्यूटी ऑफिसर द्वारा पाकिस्तानियों से पूछा गया कि उनके डीजीएमओ क्या बात करना चाहते है. पाकिस्तान की तरफ से यह तो नहीं बताया गया, लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल सिंह और मेजर जनरल मिर्जा के बीच एक अनिर्धारित और तत्काल बातचीत का अनुरोध किया गया. भारतीय सेना बातचीत के लिए राजी हो गई, जोकि कुछ घंटों बाद हुई.
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