मुंबई:
महाड़ में सावित्री नदी पर बने पुल हादसे के 8 दिन बाद अब जाकर नदी में डूबी एक बस का अवशेष दिखा है. नौसेना के प्रवक्ता राहुल सिन्हा के मुताबिक, नौसेना के गोताखोरों को हादसे से 170 से 200 मीटर दूर एक बस की चेसिस दिखी है. बस तकरीबन 5 मीटर पानी के नीचे है. एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन को सूचित कर दिया गया है और अब बड़ी क्रेन लाकर उसे निकालने की कोशिश की जाएगी.
मुंबई-गोवा हाइवे पर सावित्री नदी पर बना पुल 2 अगस्त की रात भारी बारिश से जमा पानी के दबाव से बह गया. अंग्रेजों के ज़माने में बने उस पुल के साथ राज्य परिवहन की दो बसें, एक टवेरा और एक होंडा सिटी भी डूब गई थी. हादसे में कुल 42 लोगों के बहने की खबर है लेकिन अभी तक सिर्फ 27 शव ही मिल पाए हैं. अब एक बस का अवशेष दिखा है, लेकिन एनडीआरएफ की माने तो उसमें एक भी शव नहीं है. सिर्फ बस की चेसिस है.
अब बस का सुराग मिलने के बाद बड़ी क्रेन मंगाई गई है, जिसकी मदद से बस के अवशेष को निकालने की कोशिश की जाएगी. एनडीआरएफ के कमांडेंट अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन की मदद से मौके पर बड़ी क्रेन बुला ली गई है और उसे नदी किनारे से 100 फुट दूर तक लाने में सफलता मिली है. जल्द ही गोताखोर बस के उस अवशेष को रस्सी से बांधने की कोशिश करेंगे.
अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक, बस नदी में बड़े-बड़े पत्थरों में फंसी हुई है. तकनीकी तौर पर बस को ऊपर की तरफ उठाकर ही निकालना आसान होगा लेकिन क्रेन को उतने करीब तक ले जा पाना नामुमकिन है इसलिये उसे खींच कर ही निकालना होगा, जिसमें काफी वक्त लग सकता है.
मुंबई-गोवा हाइवे पर सावित्री नदी पर बना पुल 2 अगस्त की रात भारी बारिश से जमा पानी के दबाव से बह गया. अंग्रेजों के ज़माने में बने उस पुल के साथ राज्य परिवहन की दो बसें, एक टवेरा और एक होंडा सिटी भी डूब गई थी. हादसे में कुल 42 लोगों के बहने की खबर है लेकिन अभी तक सिर्फ 27 शव ही मिल पाए हैं. अब एक बस का अवशेष दिखा है, लेकिन एनडीआरएफ की माने तो उसमें एक भी शव नहीं है. सिर्फ बस की चेसिस है.
अब बस का सुराग मिलने के बाद बड़ी क्रेन मंगाई गई है, जिसकी मदद से बस के अवशेष को निकालने की कोशिश की जाएगी. एनडीआरएफ के कमांडेंट अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन की मदद से मौके पर बड़ी क्रेन बुला ली गई है और उसे नदी किनारे से 100 फुट दूर तक लाने में सफलता मिली है. जल्द ही गोताखोर बस के उस अवशेष को रस्सी से बांधने की कोशिश करेंगे.
अनुपम श्रीवास्तव के मुताबिक, बस नदी में बड़े-बड़े पत्थरों में फंसी हुई है. तकनीकी तौर पर बस को ऊपर की तरफ उठाकर ही निकालना आसान होगा लेकिन क्रेन को उतने करीब तक ले जा पाना नामुमकिन है इसलिये उसे खींच कर ही निकालना होगा, जिसमें काफी वक्त लग सकता है.
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