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This Article is From Aug 26, 2019

बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों को माला पहनाए जाने के वीडियो पर बोलीं शहीद इंस्पेक्टर की पत्नी, बहुत दुखी हूं

पिछले साल दिसम्बर को बुलंदशहर के महाव गांव के पास हुई हिंसा में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के परिजन ने इस वीडियो पर सख्त एतराज जताया है.

वीडियो वायरल होने के बाद गरमा गया मामला

बुलंदशहर:

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में पिछले साल दिसम्बर में हुई हिंसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर के परिजन ने वारदात के आरोपियों के जमानत पर रिहा होने पर उनके फूलमालाओं से स्वागत का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार से ऐसे अराजक तत्वों को सलाखों के पीछे ही रखने की मांग की है. रविवार को सामने आए वीडियो में बुलंदशहर हिंसा के अभियुक्तों शिखर अग्रवाल और जीतू फौजी का फूल माला पहनाकर स्वागत किये जाने और जश्न के माहौल में उनके समर्थकों को नारे लगाते देखा जा सकता है. पिछले साल तीन दिसम्बर को बुलंदशहर के महाव गांव के पास कथित रूप से प्रतिबंधित पशुओं के कंकाल बरामद होने के बाद हुई हिंसा में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के परिजन ने इस वीडियो पर सख्त एतराज जताया है. 

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सुबोध सिंह की पत्नी ने कहा कि इस फैसले से मैं बेहद दुखी हूं, मुझे नहीं समझ आ रहा कि किस आधार पर उन आरोपियों को जमानत पर रिहा किया गया. सुबोध सिंह की पत्नी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि रिहा हुए आरोपियों की जमानत को निरस्त किया जाए और जेल में दोबारा भेजा जाए. 

सिंह के बेटे श्रेय सिंह ने कहा कि ऐसे अपराधी तत्वों को सलाखों के पीछे ही रखना ठीक है. 'मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह करता हूं कि इन अपराधियों को समाज के हित में जेल में ही रखा जाना चाहिये. मेरा मानना है कि ऐसे लोगों का बाहर रहना ना सिर्फ मेरे लिये बल्कि दूसरे लोगों के लिये भी खतरनाक है.' शहीद इंस्पेक्टर की पत्नी ने भी सवाल किया कि क्या ऐसे अपराधियों को महज छह महीने के अंदर आजाद कर देना उचित है? इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों का स्वागत किये जाने की घटना से सत्तारूढ़ भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है. 

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उन्होंने कहा कि अगर किसी के समर्थक और रिश्तेदार जेल से छूटने पर उसका स्वागत करते हैं तो इससे सरकार और भाजपा का क्या लेना-देना है? विपक्ष को ऐसी चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. गौरतलब है कि पिछले साल तीन दिसम्बर को बुलंदशहर के महाव गांव के पास गोवंशीय पशुओं के कंकाल बरामद होने पर भड़की भीड़ की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या कर दी गयी थी. इस मामले के छह आरोपियों को अदालत ने शनिवार को जमानत पर रिहा कर दिया था.

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