कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास मत के दौरान बहुजन समाज पार्टी (BSP) विधायक के विधानसभा से गैरहाजिर रहने को पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने गंभीरता से लेते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार रात ट्वीट में कहा, 'कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बीएसपी विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है. इसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया.'
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देने के पार्टी हाईकमान के निर्देश का उल्लंघन करके बीएसपी विधायक एन महेश आज विश्वास मत में अनुपस्थित रहे जो अनुशासनहीनता है जिसे पार्टी ने अति गंभीरता से लिया है और इसलिए श्री महेश को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
— Mayawati (@Mayawati) July 23, 2019
इससे पहले कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार मंगलवार को विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने में विफल रहने के बाद गिर गई. इसी के साथ राज्य में 14 महीने से अस्थिरता के दौर का सामना कर रहे मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी का कार्यकाल खत्म हो गया. कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव हारने के तुरंत बाद राज्यपाल वजुभाई वाला को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
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अधिकारियों ने बताया कि परिणाम के तुरंत बाद कुमारस्वामी, उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और अन्य वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राजभवन गए और इस्तीफा सौंप दिया. त्यागपत्र में कहा गया, 'अपनी कैबिनेट के साथ मैं कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं और मैं आपसे इसे स्वीकार करने का आग्रह करता हूं.' त्यागपत्र में कहा गया, 'मैं इस मौके पर कार्यकाल के दौरान मुझे और मेरे सहयोगियों को मिले सहयोग के लिए मैं आभारी हूं.'
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कुमारस्वामी को अपने पत्र में राज्यपाल ने कहा, 'मैंने तत्काल प्रभाव से आपका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. वैकल्पिक व्यवस्था होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहिए. यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस दौरान कोई कार्यकारी फैसले नहीं लिए जाने चाहिए.' इससे पहले, विधानसभा में अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने ऐलान किया कि 99 विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया है, जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया है. इस प्रकार यह प्रस्ताव गिर गया. बहस पर जवाब देने के बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी विचारमग्न अवस्था में कार्यवाही देखते रहे. कुमारस्वामी को संख्या बल का साथ नहीं मिला और उन्होंने विश्वास मत प्रस्ताव पर चार दिन की चर्चा के खत्म होने के बाद हार का सामना किया.
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विधानसभा में पिछले गुरुवार को उन्होंने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया था. चार दिनों तक विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद कुमारस्वामी ने कहा, 'मैं खुशी से इस पद का बलिदान करने को तैयार हूं.' कार्यवाही में 21 विधायकों ने हिस्सा नहीं लिया जिससे सदन की प्रभावी क्षमता घटकर 204 रह गई. कार्यवाही में कांग्रेस-जदएस (17), बसपा (एक), निर्दलीय (दो) के विधायक नहीं आए. इस तरह 103 का जादुई आंकड़ा नहीं जुट पाया.
कुमारस्वामी ने कहा कि विश्वास मत की कार्यवाही को लंबा खींचने की उनकी कोई मंशा नहीं थी. उन्होंने कहा, 'मैं विधानसभाध्यक्ष और राज्य की जनता से माफी मांगता हूं.' कुमारस्वामी ने कहा, 'यह भी चर्चा चल रही है कि मैंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया और कुर्सी पर क्यों बना हुआ हूं.' उन्होंने कहा कि जब विधानसभा चुनाव का परिणाम (2018 में) आया था, वह राजनीति छोड़ने की सोच रहे थे. कुमारस्वामी ने कहा, 'मैं राजनीति में अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आया था.' उन्होंने कहा कि जनता के अनुकूल सरकार प्रदान करने के लिए उन्होंने ईमानदारी से काम किया.
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भाजपा पर जल्दबाजी में होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, 'भाषण के बाद मैं कहीं नहीं भागने वाला. लोगों को पता तो चले कि क्यों मैं हटा. आंकड़ों से डरकर मैं भाग नहीं रहा. वोटों की गिनती होने दीजिए.' मुख्यमंत्री का पद किसी के लिए भी स्थाई नहीं है.
उधर, मतदान के बाद विजय चिन्ह बनाते हुए भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने परिणाम को लोकतंत्र की जीत बताया. उन्होंने कर्नाटक के लोगों को आश्वस्त किया कि भाजपा के सत्ता में आने के साथ विकास का एक नया युग आरंभ होगा. अगले कदम पर येदियुरप्पा ने कहा कि शीघ्र ही उपयुक्त फैसला किया जाएगा.
VIDEO: कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार गिरी
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