साध्वी निरंजन ज्योति (फाइल फोटो)
अहमदाबाद:
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने रविवार को कहा कि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भारत वापस लाना 'बोलने का नहीं, कर के दिखाने का विषय' है।
पत्रकारों ने जब ज्योति से यह सवाल किया कि केंद्र दाऊद को भारत वापस लाना चाहता है, लेकिन खबरों के मुताबिक उसके साथी छोटा शकील ने कहा है कि सरकार उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी कुछ कहा जा चुका है।
ज्योति ने कहा, 'यह बोलने का नहीं, कर के दिखाने का विषय है।'
गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने हाल ही में कहा था कि 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों का मुख्य आरोपी दाऊद भारतीय अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहता था लेकिन महाराष्ट्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की अगुवाई कर रहे मुख्यमंत्री शरद पवार ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था।
बहरहाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी:) के प्रमुख ने कल कहा कि जेठमलानी ने आत्मसमर्पण करने की दाऊद की इच्छा को लेकर उनसे संपर्क किया था, लेकिन जो शर्तें रखी गई थीं वे राज्य सरकार को मंजूर नहीं थीं।
पवार 1990 के दशक में जब मुख्यमंत्री थे, उस वक्त यह पेशकश की गई थी।
पवार ने संवाददाताओं से कहा था, 'यह सही है कि राम जेठमलानी ने दाऊद की लौटने की इच्छा के बाबत एक प्रस्ताव दिया था। पर शर्त यह थी कि दाऊद को जेल में नहीं रखा जाए। बल्कि उसे किसी घर में रखा जाए। यह स्वीकार्य नहीं था। हम ने कहा कि उसे कानून का सामना करना होगा।'
पत्रकारों ने जब ज्योति से यह सवाल किया कि केंद्र दाऊद को भारत वापस लाना चाहता है, लेकिन खबरों के मुताबिक उसके साथी छोटा शकील ने कहा है कि सरकार उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी कुछ कहा जा चुका है।
ज्योति ने कहा, 'यह बोलने का नहीं, कर के दिखाने का विषय है।'
गौरतलब है कि वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने हाल ही में कहा था कि 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों का मुख्य आरोपी दाऊद भारतीय अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहता था लेकिन महाराष्ट्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की अगुवाई कर रहे मुख्यमंत्री शरद पवार ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था।
बहरहाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी:) के प्रमुख ने कल कहा कि जेठमलानी ने आत्मसमर्पण करने की दाऊद की इच्छा को लेकर उनसे संपर्क किया था, लेकिन जो शर्तें रखी गई थीं वे राज्य सरकार को मंजूर नहीं थीं।
पवार 1990 के दशक में जब मुख्यमंत्री थे, उस वक्त यह पेशकश की गई थी।
पवार ने संवाददाताओं से कहा था, 'यह सही है कि राम जेठमलानी ने दाऊद की लौटने की इच्छा के बाबत एक प्रस्ताव दिया था। पर शर्त यह थी कि दाऊद को जेल में नहीं रखा जाए। बल्कि उसे किसी घर में रखा जाए। यह स्वीकार्य नहीं था। हम ने कहा कि उसे कानून का सामना करना होगा।'
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