पंचकूला:
देशभर में मंदिरों पर हुए लगातार हमले की घटनाओं को लेकर स्वामी असीमानंद ने बम का बदला बम सिद्धांत पेश किया, जिसके चलते समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में विस्फोट हुआ। समझौता एक्सप्रेस ट्रेन भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे पुराना रेल संपर्क है। वर्ष 2007 में 68 लोगों की जान लेने वाले इस विस्फोट की जांच में एक घातक साजिश रचे जाने की बात सामने आई है, जो गुजरात के अक्षरधाम, जम्मू के रघुनाथ धाम और वाराणसी के संकट मोचन मंदिर जैसे स्थानों पर हुए आतंकवादी हमलों की प्रतिक्रिया में असीमानंद के रुख से प्रेरित थी। हरियाणा के पंचकुला स्थित एक विशेष अदालत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दाखिल किए गए आरोपपत्र के मुताबिक मंदिरों पर हुए हमलों ने अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ स्वामी असीमानंद और चार अन्य लोगों के दिलोदिमाग में प्रतिशोध की भावना को विकसित किया। आरोपपत्र में कहा गया है कि असीमानंद ने अपनी इस भावना को सुनील जोशी और अन्य सहयोगियों के साथ चर्चा के दौरान प्रकट किया। कुछ समय के बाद उनके अंदर न केवल जिहादी आतंकवादियों के खिलाफ बल्कि दुर्भाग्य से समूचे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ प्रतिशोध की भावना विकसित हो गई। इसके परिणामस्वरूप असीमानंद ने बम का बदला बम सिद्धांत पेश किया। समझौता ट्रेन को खासतौर पर चुना गया क्योंकि इसमें सफर करने वाले ज्यादातर यात्री पाकिस्तानी नागरिक होते हैं। एनआईए के आरोपपत्र में कहा गया है, असीमानंद ने इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठन को न केवल वित्तीय मदद मुहैया की बल्कि अपने सहयोगियों को इस आतंकवादी गतिविधि के लिए प्रेरित करने में भी अहम भूमिका निभाई।