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This Article is From Sep 17, 2020

कोरोना काल में बाइक पर ब्‍लैकबोर्ड बांध घूम रहा यह टीचर, मोहल्‍ला क्‍लासेस से बच्‍चों के 'घर तक पहुंचाया स्‍कूल'

कोरिया जिले के सरकारी स्‍कूल के टीचर रुद्र राणा (Rudra Rana)ने अपनी बाइक में ब्‍लैकबोर्ड (blackboard ) बांध रखा है और कोराना महामारी के इस समय में वे जगह-जगह धूमकर 'मोहल्‍ला क्‍लासेस' के जरिये बच्‍चों को शिक्षा दे रहे हैं.

कोरोना काल में बाइक पर ब्‍लैकबोर्ड बांध घूम रहा यह टीचर, मोहल्‍ला क्‍लासेस से बच्‍चों के 'घर तक पहुंचाया स्‍कूल'
मोहल्‍ला क्‍लासेस के जरिये बच्‍चों को पढ़ाते हुए रुद्र राणा
नई दिल्ली:

छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के कोरिया जिले (Chhattisgarh's Korea district) के सरकारी स्‍कूल के एक टीचर (government school teacher) के बच्‍चों को पढ़ाने के लेकर 'जुनून' को लोगों की जमकर प्रशंसा मिल रही है. कोरिया जिले के सरकारी स्‍कूल के टीचर रुद्र राणा (Rudra Rana)ने अपनी बाइक में ब्‍लैकबोर्ड (blackboard ) बांध रखा है और कोराना महामारी के इस समय में वे जगह-जगह धूमकर 'मोहल्‍ला क्‍लासेस' के जरिये बच्‍चों को शिक्षा दे रहे हैं. न्‍यूज एजेंसी ANI ने बात करते हुए रुद्र ने कहा, 'कोरोना महामारी के इस दौर में स्‍कूल बंद हैं और स्‍मार्टफोन न होने के कारण कई स्‍टूडेंट ऑनलाइन क्‍लास अटेंड नहीं कर पाते, ऐेसे में मेरे दिमाग में बच्‍चों के घर तक 'स्‍कूल' ले जाकर उन्‍हें शिक्षित करने का विचार आया.'

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उन्‍होंने कहा कि हमारे यहां बहुत कम बच्‍चे ऑनलाइन क्‍लास अटेंड कर पा रहे थे, ऐसे में हमने मोहल्‍ला क्‍लास शुरू की. ऐसे में मेरे दिमाग में यह ख्‍याल आया. यह शिक्षकों और स्‍टूडेंट की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है क्‍योंकि दोनों में कांटेक्‍ट नहीं रहता. चूंकि स्‍टूडेंट अभी स्‍कूल नहीं जा सकते, ऐसे में मैंने शिक्षा को उनके घर के दरवाजे तक पहुंचा दिया है. उन्‍होंने कहा, 'मैंने अपने साथ ब्‍लैकबोर्ड, पुस्‍तकें और प्‍लेकार्ड्स भी रखे हैं. मैं घंटे बजाता हूं और छात्र पढ़ाई करने जा जाते हैं, बिल्‍कुल सामान्‍य स्‍कूल की तरह. स्‍टूडेंट प्रेयर भी करते हैं, उसके बाद सिलेबस के अनुसार हम क्‍लासेस शुरू करते हैं.

रुद्र राणा बताते हैं, 'मैं एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की यात्रा करता हूं. स्‍टूडेंट्स को एकत्र करता हूं और विभिन्‍न विषयों के अलावा उन्‍हें कोरोना वायरस से बचाव के बारे में भी शिक्षित करता हूं. स्‍टूडेंट्स भी अब पढ़ाई में रुचि दिखाते हुए आगे आ रहे हैं. स्‍थानीय लोगों ने भी इस पहल की प्रशंसा की है.' कोरोना के दौर में इन क्‍लासेस के महत्‍व के बारे में एक स्‍टूडेंट शिल्‍प ने कहा, 'इन क्‍लासों से हमें काफी कुछ सीखने को मिल रहा है. सर रोज आते हैं और हमें पढ़ाते हैं और हमें पढ़ाई के हमारे 'डाउट्स' को दूर करते हैं. हम इस अंदाज की टीचिंग का पूरा आनंद उठा रहे हैं.' एक अन्‍य छात्र सूरज कहता है, 'सर हमे पढ़ाते हैं, बाद में हम अपनी ओर से पढ़ाई करते हैं. हम स्‍कूल को काफी मिस कर रहे हैं लेकिन पढ़ाई कराने का यह अंदाज भी शानदार है. ऐसा लगता है मानो हम स्‍कूल में ही हैं'.

कोरोना काल में बच्चों को पढ़ा रहे 'स्पीकर टीचर'

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