दिल्ली मे अरविंद केजरीवाल को फंसाने के लिए बीजेपी ने नया पासा फेंका है। बीजेपी ने कहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल में हिम्मत है, तो जगदीश मुखी के खिलाफ चुनाव लड़कर दिखाएं।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से प्रदेश बीजेपी नेताओं की मीटिंग के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव व दिल्ली बीजेपी के सीनियर नेता आरपी सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "वह हमारी तरफ से हमारा सीएम कैंडिडेट घोषित करते हैं, अगर उन्होंने ही घोषित किया है और पिछली सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ लड़े थे...देश के पीएम कैंडिडेट के खिलाफ लड़े थे, तो जो उन्हीं की तरफ से घोषित है, उसके खिलाफ लड़ लें जाकर..."
मामला यह है कि दिल्ली मे बीजेपी कोई सीएम उम्मीदवार के बिना ही मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ रही है, जबकि आम आदमी पार्टी अपनी तरफ से जगदीश मुखी को बीजेपी का सीएम कैंडिडेट बताकर केजरीवाल (आप के सीएम कैंडिडेट) से मुकाबला प्रोजेक्ट करने में जुटी है और क्योंकि केजरीवाल लोकप्रियता के मामले में केजरीवाल, मुखी से आगे माने जाते हैं, इसलिए बीजेपी को डर है कि मुकाबला मुखी बनाम केजरीवाल होने पर पार्टी को नुकसान हो सकता है।
बीजेपी का दांव यह है कि केजरीवाल को उनके जाल में ही फंसाया जाए। जगदीश मुखी जनकपुरी विधानसभा सीट से 1993 से विधायक हैं, इसलिए ये सीट बीजेपी की घर की सीट मानी जाती है। बुरे से बुरे समय में पार्टी यह सीट नहीं हारी।
केजरीवाल जनकपुरी जाएंगे या नहीं पता नहीं, लेकिन नई दिल्ली सीट छोड़ने पर एक बार फिर 'भगोड़ा' का लेबल लग सकता है और यह कोई गंभीर राजनीति भी नहीं मानी जाती, क्योंकि नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल ने पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उनके गढ़ में ही करारी शिकस्त दी थी।
ऐसे में केजरीवाल अगर नई दिल्ली छोड़ेंगे तो कैसे? और बीजेपी को उसके गढ़ में हराएंगे तो कैसे? क्योंकि शीला दीक्षित को हराते वक्त 15 साल की एंटी-इनकंबैंसी और एंटी-कांग्रेस माहौल था, जबकि बीजेपी के साथ मोदी नाम की लहर है, जिससे टकराने से खुद आम आदमी पार्टी पार्टी बच रही है।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि जब शीला दीक्षित सीएम थीं, तो अरविंद केजरीवाल उनके खिलाफ लड़े थे, तो अब अरविंद के बाद तो कोई सीएम हुआ नहीं, इसलिए अब केजरीवाल के खिलाफ़ जगदीश मुखी चुनाव लड़ें। संजय सिंह ने कहा कि मैं जगदीश मुखी का स्वागत करता हूं, वह आएं और चुनाव लड़ें और इस परंपरा का निर्वहन करें।
यह दिल्ली चुनाव से पहले की सियासी पैंतरेबाजी है, जो इस बात का इशारा जरूर करती है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव बेहद जोरदार होंगे।
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