प्रतीकात्मक फोटो
अहमदाबाद:
गुजरात भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को त्योहारों का रंग दे रही है. पहली बार सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों में दिवाली और नववर्ष के स्नेह मिलन समारोह हो रहे हैं. आम तौर पर ऐसे कार्यक्रम होते रहे हैं लेकिन वे विशेषकर शहरों तक सीमित रहते थे. इस बार विशेष जोर ग्रामीण इलाकों पर दिया जा रहा है. यह सब इसलिए क्योंकि अगले माह में करीब 10,000 ग्राम पंचायतों के चुनाव होने हैं और पिछले स्थानीय चुनावों में ग्रामीण इलाकों में भाजपा को भारी नुकसान हुआ था.
अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि विधानसभा चुनाव भी जल्द हो सकते हैं. वैसे गुजरात विधानसभा की मियाद दिसम्बर 2017 में खत्म हो रही है. हालांकि भाजपा नेतृत्व इसे चुनावों से जोड़ने से परहेज कर रहा है. केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि ग्राम पंचायत के चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़े जाते इसलिए इन्हें चुनावों से जोड़ना ठीक नहीं है, लेकिन यह सही है कि ऐसे स्नेह मिलन कार्यक्रमों से पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच नाता बढ़ता है, पार्टी में उत्साह बढ़ता है.
महत्वपूर्ण बात है कि भाजपा पिछले स्थानीय चुनावों में तालुका पंचायत और जिला पंचायतों में बुरी तरह हारी थी. तब से लेकर अब तक पटेल आंदोलन और दलित आंदोलन के चलते परिस्थिति और चुनौतीपूर्ण हुई है. मौजूदा मूंगफली और कपास के गिरे दाम भी किसानों की नाराजगी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में विपक्ष का आरोप है कि यह स्नेह मिलन कार्यक्रम सिर्फ चुनावी मंशा से ही आयोजित किए जा रहे हैं.
कांग्रेस भी आने वाले दिनों में ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में यात्राओं की तैयारी कर रही है. भाजपा अगले एक महिने में ही सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है. यह कार्यक्रम भाजपा में तो थोड़ी बेचैनी दिखाते ही हैं, लेकिन इसके जवाब में कांग्रेस भी जल्द कार्यक्रमों की तैयारी कर रही है. कांग्रेस राज्य में सोती हुई नहीं दिखना चाहती. बीस सालों से ज्यादा समय से विपक्ष में बैठी कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की जरूरत ज्यादा महसूस हो रही है.
अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि विधानसभा चुनाव भी जल्द हो सकते हैं. वैसे गुजरात विधानसभा की मियाद दिसम्बर 2017 में खत्म हो रही है. हालांकि भाजपा नेतृत्व इसे चुनावों से जोड़ने से परहेज कर रहा है. केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि ग्राम पंचायत के चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़े जाते इसलिए इन्हें चुनावों से जोड़ना ठीक नहीं है, लेकिन यह सही है कि ऐसे स्नेह मिलन कार्यक्रमों से पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों के बीच नाता बढ़ता है, पार्टी में उत्साह बढ़ता है.
महत्वपूर्ण बात है कि भाजपा पिछले स्थानीय चुनावों में तालुका पंचायत और जिला पंचायतों में बुरी तरह हारी थी. तब से लेकर अब तक पटेल आंदोलन और दलित आंदोलन के चलते परिस्थिति और चुनौतीपूर्ण हुई है. मौजूदा मूंगफली और कपास के गिरे दाम भी किसानों की नाराजगी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में विपक्ष का आरोप है कि यह स्नेह मिलन कार्यक्रम सिर्फ चुनावी मंशा से ही आयोजित किए जा रहे हैं.
कांग्रेस भी आने वाले दिनों में ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में यात्राओं की तैयारी कर रही है. भाजपा अगले एक महिने में ही सभी 182 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है. यह कार्यक्रम भाजपा में तो थोड़ी बेचैनी दिखाते ही हैं, लेकिन इसके जवाब में कांग्रेस भी जल्द कार्यक्रमों की तैयारी कर रही है. कांग्रेस राज्य में सोती हुई नहीं दिखना चाहती. बीस सालों से ज्यादा समय से विपक्ष में बैठी कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की जरूरत ज्यादा महसूस हो रही है.
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