यह ख़बर 05 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

किसान कर्ज माफी योजना में भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग

खास बातें

  • किसानों की कर्ज माफी के लिए केंद्र सरकार की योजना में अनियमितताओं की ओर इशारा करती नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को चौंकाने वाली करार देते हुए भाजपा ने मामले में तत्काल सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
नई दिल्ली:

किसानों की कर्ज माफी के लिए केंद्र सरकार की योजना में अनियमितताओं की ओर इशारा करती नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को चौंकाने वाली करार देते हुए भाजपा ने मामले में तत्काल सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ऐसे पात्र किसानों का 31 मार्च 2013 तक का बकाया कर्ज भी तत्काल माफ किया जाना चाहिए, जिन्हें योजना का लाभ मिलना चाहिए था, लेकिन नहीं मिला।

उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि कैग की रिपोर्ट में कर्ज माफी योजना में अनियमितताएं सामने आई हैं और सरकार को इस मामले में सभी 3.5 करोड़ खातों की सीबीआई जांच करानी चाहिए।

वर्ष 2008 में शुरू की गई कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना की लेखा परीक्षा संबंधी कैग की आज संसद में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि नौ राज्यों में लेखा परीक्षा जांच में 9334 खातों में से 1257 (13. 46 प्रतिशत) खाते वे थे जो कि योजना के तहत लाभ के पात्र थे, लेकिन जिन्हें ऋण देने वाली संस्थाओं द्वारा पात्र किसानों की सूची तैयार करते समय शामिल नहीं किया गया।

जावड़ेकर ने कहा कि कैग ने 3.5 करोड़ खातों में से केवल 90 हजार की पड़ताल की है और तब ये नतीजे निकले हैं। सभी खातों की जांच में और अधिक अनियमितताएं सामने आ सकती हैं।

उन्होंने कहा, कांग्रेस भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, 2जी घोटाला, कोयला घोटाला, हेलीकॉप्टर घोटाला और अब किसानों को कर्ज माफी योजना में घोटाला सामने आया है, जिसमें अनेक अपात्र लोगों ने फायदा उठाया जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।

जावड़ेकर ने वर्ष 2008 में संप्रग सरकार द्वारा शुरू की गई योजना में कुछ खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस योजना में उन छोटे किसानों को लाभ नहीं दिया गया जिन्हें संस्थागत कर्ज (बैंक आदि से) नहीं मिला और जो साहूकारों पर निर्भर रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे छोटे किसानों को 1997 के बाद से लाभ दिया जाना चाहिए। इनमें से अनेक ने बड़ी कठिनाइयों के साथ कर्ज का भुगतान कर दिया और उन्हें योजना का लाभ नहीं दिया गया।

जावड़ेकर ने कहा कि दूसरी तरफ कुछ ऐसे माइक्रो फाइनेंस संस्थानों को लाभ दिया जाना चौंकाने वाला है, क्योंकि वे इसके लिए पात्र नहीं थे।

उन्होंने कहा कि कैग ने मामले में छेड़छाड़, ऊपर से तथ्यों की जोड़ तोड़ आदि का भी पता लगाया है, जो धोखाधड़ी और घोटाले के समान है।

जावड़ेकर ने कहा कि भाजपा मांग करती है कि जांच द्वारा मामले में जवाबदेही तय की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना के बाद भी देश में किसानों द्वारा खुदकुशी के मामले कम नहीं होना चिंता की बात है।

जावड़ेकर ने कहा कि किसानों की लागत के संबंध में स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले को स्वीकार किया जाना चाहिए जिसमें उत्पादन की लागत के साथ 50 प्रतिशत सहायता देने का प्रस्ताव है।

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रिपेार्ट में कहा गया है कि 80,299 खाते जिन्हें ऋण माफी और ऋण राहत दी गई उनमें से 8. 5 प्रतिशत मामलों में लाभार्थी न तो ऋण माफी के और न ही ऋण राहत के हकदार थे।