त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने सोमवार को दावा किया कि जो लोग राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी का विरोध कर रहे हैं, वो देश से प्यार नहीं करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह अंग्रेजी के खिलाफ नहीं हैं अथवा हिंदी थोपने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा, 'राष्ट्रभाषा के तौर पर जो लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं, ये वो लोग हैं जिनके मन में देश के लिए प्यार नहीं है. मैं राष्ट्रभाषा के तौर पर हिंदी का समर्थन करता हूं क्योंकि देश में अधिकतर लोग हिंदी बोलते हैं.'
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उन्होंने कहा कि यदि अंग्रेजों ने 200 सालों तक भारत में शासन नहीं किया होता, तो देश में आधिकारिक कार्यों में अंग्रेजी का कोई इस्तेमाल नहीं होता. आधिकारिक भाषा अधिनियम 1963 के अनुसार केंद्र सरकार और संसद के लिए हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शनिवार को दिये गए बयान का समर्थन करते हुए देब ने कहा, 'औपनिवेशिक शासन के प्रति निष्ठा के कारण, अंग्रेजी कई लोगों के लिए प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई है.'
गौर हो कि हिन्दी दिवस के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी के माध्यम से पूरे देश को जोड़ने की अपील की थी. अमित शाह ने कहा था कि विभिन्न भाषाएं और बोलियां हमारे देश की ताकत हैं. लेकिन अब देश को एक भाषा की जरूरत है ताकि यहां पर विदेशी भाषाओं को जगह न मिल पाए. गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की अपील की थी.
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